गांधीनगर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पिछले 10 साल में जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा को 70 प्रतिशत तक कम करने में सफल रही है. शाह ने यहां राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में 50वें अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के दौरान भरोसा जताया कि आगामी दशक भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को दुनिया में सबसे अधिक वैज्ञानिक और सबसे तेज बना देगा. शाह ने कहा, कई वर्षों से तीन क्षेत्रों को बहुत अशांत माना जाता था – कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित इलाके. हमने इन तीनों क्षेत्रों में सुरक्षा के मामले में उल्लेखनीय सुधार किया है. पिछले 10 साल के आंकड़ों की तुलना, उससे पहले की अवधि से करने पर पता चलता है कि हम हिंसा को 70 प्रतिशत तक कम करने में सफल रहे हैं. उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. बड़ी संख्या में लोगों ने हिंसा को कम करने के सरकार के प्रयासों का पूरे दिल से समर्थन किया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्ष में नशीले पदार्थों को जब्त किए जाने की घटनाएं एक दशक पहले की तुलना में छह गुना बढ़ी हैं. उन्होंने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से लोगों को देश के किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज होने के तीन साल के भीतर उच्चतम न्यायालय से न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा, आगामी 10 साल भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को सबसे आधुनिक, सबसे वैज्ञानिक और सबसे तेज बनाने का समय है. जब से मैं पैदा हुआ हूं, तब से मैंने आक्षेप सुने हैं कि अदालत से न्याय देरी से मिलता है. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद देश के किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर उच्चतम न्यायालय से न्याय मिल जाएगा. देश में तीन नए आपराधिक कानून – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) इस साल एक जुलाई से लागू हुए और उन्होंने ब्रिटिशकालीन क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया.
शाह ने कहा कि भारत एक दशक में 11वीं से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. उन्होंने कहा कि उन्हें एक अप्रैल, 2028 से पहले भारत के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने का भरोसा है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, सुरक्षा, शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास, बुनियादी ढांचे और व्यापार समेत हर क्षेत्र में पिछले 10 वर्ष में भारत ने प्रगति की है और वह दुनिया का नेतृत्व कर रहा है तथा इस प्रगति ने देश की चुनौतियों को बढ़ाया है. शाह ने कहा, जब आप किसी व्यवस्था में आगे बढ़ते हैं तो आप किसी की जगह लेते हैं जिससे प्रतिरोध पैदा होता है. आपको प्रतिरोध का आकलन करने के बाद आगे बढऩा होता है. उन्होंने कहा कि भारत ने अपने चुनाव सुचारू रूप से संपन्न कराए और उसने कोविड-19 महामारी से अच्छी तरह निपटकर दुनिया को हैरान कर दिया. शाह ने कहा, जब दुनिया हमारी ताकत को पहचानती है तो हमारी चुनौतियां बढ़ जाती हैं. हमें इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए खुद को तैयार करना होगा.Ó
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने आंतरिक सुरक्षा और आपराधिक न्याय प्रणाली के मामले में बड़े बदलाव किए हैं और इन बदलावों के लिए कड़ी मेहनत, बेहतर समन्वय और समावेशिता की आवश्यकता होती है. गृह मंत्री ने कहा कि भारत ने आर्थिक और सामाजिक सुधारों के माध्यम से एक मजबूत नींव रखी है. शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने से पहले व्यापक तैयारी की और सुनिश्चित किया कि वे अपने तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचें तथा भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए मददगार हों. उन्होंने कहा कि 70,000 पुलिस थाने सीसीटीएनएस (अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम) से जुड़े हुए हैं, 22,000 अदालतें ‘ई-कोर्टÓ के माध्यम से जुड़ी हैं, दो करोड़ कैदियों का डेटा ‘ई-प्रिजनÓ प्रणाली में संग्रहीत है और 1.5 करोड़ से अधिक अभियोजन पक्ष का डेटा ‘ई-प्रोसिक्यूशनÓ प्रणाली में है और 23 लाख से अधिक फोरेंसिक डेटा ‘ई-फोरेंसिकÓ प्रणाली में है.
शाह ने कहा, जब हमने तीन नए आपराधिक कानून लागू किए, तो हमने अदालत, अभियोजन, पुलिस, जेल और एफएसएल को जोडऩे की व्यवस्था की. एक प्रकार से अपराध से लेकर न्याय और जेल तक – हमने सारी कडिय़ों को जोडऩे का काम किया और उसके बाद नरेन्द्र मोदी सरकार तीन नए आपराधिक कानून लाई. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने सुनिश्चित किया कि नागरिकों की सुरक्षा नए आपराधिक कानूनों के केंद्र में रहे और वे संविधान के तहत उन्हें दिए गए अधिकारों का लाभ उठा सकें. शाह ने कहा, नए कानूनों में प्रौद्योगिकी की सभी प्रणालियों को शामिल किया गया है और यह भी सुनिश्चित किया गया है कि प्रौद्योगिकी चाहे जितनी भी बदल जाए, कानून में बदलाव करने की जरूरत नहीं होगी. उन्होंने कहा, हमने 60 विभिन्न प्रावधानों में अदालत, अभियोजन और पुलिस को समय-सीमा के भीतर काम पूरा करने के लिए बाध्य करके त्वरित न्याय की व्यवस्था की है.
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