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देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वालों की उपेक्षा हुई : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

by Bhupendra Sahu

देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वालों की उपेक्षा हुई : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि हमारे इतिहास की किताबों ने हमारे नायकों के साथ अन्याय किया है। हमारे इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, कुछ लोगों का एकाधिकार कायम कर दिया गया कि उन्हीं के कारण हमें स्वतंत्रता मिली। यह हमारी अंतरात्मा पर एक असहनीय पीड़ा है। यह हमारे दिल और आत्मा पर एक बोझ है। मुझे यकीन है कि हमें इसमें बड़ा बदलाव लाना होगा। रविवार को दिल्ली के भारत मंडपम में राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती के अवसर पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप एक जन्मजात कूटनीतिज्ञ, एक जन्मजात राजनेता, एक दूरदर्शी और एक राष्ट्रवादी थे। राजा महेंद्र प्रताप ने राष्ट्रीयता, देशभक्ति और दूरदर्शिता का उदाहरण प्रस्तुत किया, उन्होंने अपने आचरण के माध्यम से दिखाया कि राष्ट्र के लिए क्या किया जा सकता है। यह क्या अन्याय है, यह क्या त्रासदी है। हम अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में हैं। हम इस महान आदमी की वीरता को पहचानने में असफल रहे हैं। हमारे इतिहास ने उन्हें वह स्थान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था। यदि आप हमारे स्वतंत्रता संग्राम की नींव को देखें, तो हमें बहुत अलग तरीके से सिखाया गया है। हमारी स्वतंत्रता की नींव ऐसे लोगों की सर्वोत्तम बलिदानों पर बनी है, जैसे राजा महेंद्र प्रताप सिंह और अन्य गुमनाम नायक या जिन्हें इतना सम्मान नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि 1932 में इस महान दूरदर्शी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। हम अपने नायकों को छोटा नहीं कर सकते।
उपराष्ट्रपति ने किसानों की भलाई पर भी जोर दिया ताकि हम एक विकसित राष्ट्र का निर्माण कर सकें।
धनखड़ ने कहा, हर बार एक सोच मेरे मन में आती है, हमें स्वतंत्र भारत में क्या करना पड़ेगा ताकि हमारे लोगों की उपलब्धियों को उचित सम्मान मिल सके। वर्तमान व्यवस्था ठीक है, आर्थिक प्रगति शानदार है। हमारी वैश्विक छवि बहुत उच्च है, लेकिन, 2047 तक एक विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि हमारे किसान संतुष्ट हों। हमें याद रखना होगा कि हम अपने ही लोगों से नहीं लड़ते, हम अपने ही लोगों को धोखा नहीं देते, धोखा तो दुश्मन को दिया जाता है। अपने लोगों को गले लगाया जाता है। जब किसान की समस्याओं का समाधान तुरंत नहीं हो रहा है तो कैसे नींद आ सकती है। मैं अपने किसान भाइयों से कहता हूं कि इस देश में समस्याओं का समाधान संवाद और समझ के माध्यम से होता है। राजा महेंद्र प्रताप इस दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध थे।
उन्होंने कहा, हमें आत्ममंथन करना होगा। जो हो चुका है, वह हो चुका, लेकिन आगे का रास्ता सही होना चाहिए। एक विकसित भारत का निर्माण किसानों की भूमि से होता है। विकसित भारत की यात्रा खेतों से होती है। किसानों की समस्याओं का समाधान तेज गति से होना चाहिए। अगर किसान परेशान है तो देश की आन-बान को बहुत बड़ा आघात लगता है, और यह इसलिए भी होता है क्योंकि हम अपने दिल की बात मन में रख लेते हैं। इस पावन दिन पर, मैं संकल्प करता हूं कि किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए मेरे दरवाजे 24 घंटे खुले हैं। ऐसा करके, मैं स्वतंत्रता को एक नया आयाम देने में सहायक बनूंगा और राजा महेंद्र प्रताप की आत्मा को शांति मिलेगी।
उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर को 1990 में भारत रत्न मिला। देरी क्यों हुई। फिर हाल ही में, चौधरी चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर को भी भारत रत्न मिला। लंबे समय तक उन लोगों की अनदेखी की गई है जो हमारे मार्गदर्शक बनें।
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