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आतंक बने जीएसटी पर बजट में विराम लगाए मोदी सरकार: प्रियंका

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को आम लोगों की गृहस्थी को बर्बाद करने वाला करार देते हुए कहा कि कॉर्पोरेट को कर में भारी छूट देने की बजाय सरकार ‘टैक्स-आतंक’ रोके और आम जनता की लूट पर विराम लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने जीएसटी को गरीब और मध्यम वर्ग से उनकी गाढ़ी कमाई लूटने का माध्यम बना दिया है। नौ प्रकार के जीएसटी दर इसे ‘अच्छा और सरल टैक्स’ नहीं ‘जटिल एवं बेतुका’ बनाते हैं। जीएसटी जनता की खपत पर टैक्स है, पर मोदी सरकार रिकॉर्ड जीएसटी संग्रहण का जश्न मनाकर उनके जले पर नमक छिड़कने का काम करती है।

उन्होंने कहा, कुल जीएसटी का 2/3 हिस्सा यानि 64 प्रतिशत गरीब और मध्यम वर्ग की जेब काट कर आता है, पर अरबपतियों से केवल तीन प्रतिशत जीएसटी वसूला जाता है, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई है। पहली बार अन्नदाता किसान की 36 कृषि संबंधी वस्तुओं पर जीएसटी लगाया गया है। यहाँ तक की जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी भरना पड़ता है। पिछले पांच वर्षों में आय कर वसूली में 240 प्रतिशत की वृद्धि हुई और जीएसटी वसूली में 177 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कांग्रेस पार्टी की मांग है कि आनेवाले आम बजट में मोदी सरकार ‘टैक्स-आतंक’ और ‘जनता की लूट’ पर विराम लगाएं।

श्रीमती वाड्रा ने कहा, कॉर्पोरेट को लाखों करोड़ का जीवन दान देने वाली भाजपा सरकार गरीब और मध्यवर्ग से जीवन बीमा और जीवन की बुनियादी जरूरतों पर भी टैक्स वसूल रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल जीएसटी का करीब 90 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा सबसे गरीब और मध्य वर्ग से वसूला जा रहा है जबकि सबसे ज्यादा आय वाली 10 प्रतिशत आबादी का देश के जीएसटी में योगदान सिर्फ तीन प्रतिशत है।

उन्होंने कहा, कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी और गरीब जनता से रोटी-दाल और चना-चबैना पर भी वसूली हो रही है। आम जनता के लिए जीएसटी का मतलब ‘गृहस्थी सत्यानाश टैक्स’ हो गया है।

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