Home » वन प्रबंधन में औपनिवेशिक सोच से मुक्त होना जरूरी : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

वन प्रबंधन में औपनिवेशिक सोच से मुक्त होना जरूरी : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

by Bhupendra Sahu

वन क्षेत्र में विद्यमान जनजातीय समुदाय के आस्था स्थलों का होगा संरक्षण
नदियों का प्रवाह बनाए रखने के लिए प्रदेश के वनों का राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण आवश्यक
मुख्यमंत्री ने जताई प्रवासी पक्षियों पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और रैप्टाईल्स व जल जीवों के संरक्षण के लिए कार्य योजना की आवश्यकता
पृथ्वी पर निवासरत प्रत्येक व्यक्ति को ऊर्जा, अन्न और जल को सुरक्षित रखना होगा: केन्द्रीय मंत्री श्री यादव
जलवायु परिवर्तन और समुदाय आधारित आजीविका पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ शुभारंभ

भोपाल : शुक्रवार, अप्रैल 18, 2025, 18:11 IST

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि वन, आजीविका से सम्बद्ध विषय है। जनजातीय क्षेत्र में अपार वन संपदा उपलब्ध है। इसके प्रबंधन में ध्यान रखना होगा कि विकास से जनजातीय वर्ग के हित प्रभावित न हो। भारतीय जीवन पद्धति वनों पर आधारित रही है। वनों के प्रबंधन में औपनिवेशिक सोच से मुक्त होने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विरासत से विकास और प्रकृति को जोड़ते हुए प्रगति और प्रकृति में सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है। पेसा एक्ट इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि जीवन का आनंद समग्रता में है, और प्रकृति आधारित जीवन जीने से कई समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव जनजातीय क्षेत्रों में वन पुनर्स्थापना, जलवायु परिवर्तन और समुदाय आधारित आजीविका पर प्रशासन अकादमी में राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव तथा केन्द्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर तथा भगवान बिरसा मुंडा और वीरांगना रानी दुर्गावती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। प्रदेश के महिला बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया, केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उईके भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में वनों की स्थिति में सुधार और वन प्रबंधन में नवाचार के लिए के लिए वन विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों के संरक्षण से इको सिस्टम बेहतर हो रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर चीतों का पुनर्स्थापना हो पाया है। उन्होंने किंग कोबरा सहित रैप्टाइल्स की प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी व्यवस्था विकसित करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इससे सर्पदंश की घटनाओं में कमी आएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन क्षेत्र में विद्यमान जनजातीय समुदाय के पूजा और आस्था स्थलों के संरक्षण के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी। आवश्यकता होने पर केंद्र शासन से भी सहयोग प्राप्त किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश वन की दृष्टि से बहुत संपन्न है। प्रदेश में यद्यपि कोई ग्लेशियर नहीं है, किन्तु प्राकृतिक रूप से वनों से निकलने वाली जल राशि से ही प्रदेश से निकलने वाली बड़ी नदियां आकार लेती हैं। मध्यप्रदेश से निकली सोन, केन, बेतवा, नर्मदा नदियां देश के कई राज्यों में जल से जीवन पहुंचा रही हैं। बिहार, गुजरात और उत्तर प्रदेश की प्रगति में प्रदेश के वनों से निकले इस जल का महत्वपूर्ण योगदान है। इस दृष्टि से मध्यप्रदेश के वन, पूरे देश के वन हैं। इन नदियों के संरक्षण और उनके निर्मल अविरल प्रवाह को बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश के वनों का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नर्मदा समग्र के माध्यम से नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए कार्य किया जा रहा है। अन्य नदियों पर भी कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना तथा पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी का आभार माना। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से प्रदेश के बड़े क्षेत्र में पेयजल की उपलब्धता और सिंचाई सुविधा सुनिश्चित होगी।

Share with your Friends

Related Articles

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More