Home » डिटॉक्स डाइट का इस्तेमाल हो सकता है जानलेवा

अगर आप स्वस्थ रहने और खूबसूरत दिखने, वजन कम करने और शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिए डिटॉक्स डाइट का इस्तेमाल करते हैं तो थोड़ा संभल जाएं। विशेषज्ञों के अनुसार डिटॉक्स क्लीनजेंस न केवल बेअसर होती हैं बल्कि खतरनाक भी साबित हो सकती हैं। डिटॉक्सिंग के कई साइट इफेक्ट हैं। डिटॉक्सिंग डाइट और खासकर कोलोनिक्स से डिहाइड्रेशन, यहां तक कि किडनी तक खराब हो सकती है। ।कई जाने मानें डिटॉक्स के तरीकों में कॉफी एनिमा और 3 दिन की एप्पल साइडर वेलेगर डाइट शामिल हैं।
डिटॉक्सिफिकेशन के कई तरीके
अधिकतर सेलिब्रिटीज फिट रहने के लिए लेमेन डिटॉक्स डाइट लेना पसंद करते हैं। 10 दिन की इस डाइट में खाने की जगह लेमन जूस, वॉटर, सेइन पीपर और मैपे सीरप। इससे शरीर के टॉक्सिन हार निकलते हैं, वजन कम होता है चेहरा और बाल चमकते हैं।
एप्पल साइडर वेनेगर में डिटॉक्स के तरीके में 3 दिन तक केवल खाने से पहले दो चम्मच एप्पल साइडर वेनेगर को पानी में गोलकर पिया जाता है। इससे लोगों को बीक कम लगती हैं और वजन कम होता है। इसके अलावा कच्चा खाने वाली डिटॉक्स डाइट में केले, नट्स, बीज, सूखे मेवे नारियल एवोकेडो ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है।
बड़ी आंत अर्थात कोलोन शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। बड़ी आंत के अस्तर से निकलने वाला श्लेष्मा मल को आगे जाने के लिए चिकना बनाता है। कोलोन से टॉक्सिक पदार्थ निकालने वाले तरीकों में कॉफी एनिमा शामिल है। इससे किडनी और लीवर के टॉक्सिक बाहर निकलते हैं। लैक्साटिव्स: इस तरीके में एक चबाई जा सकने वाली गोली खिलाई जाती है जो मल को पतला करती है और आंतें की गति को बढ़ाती है।
कब्ज की स्थिति में डॉक्टर्स कोलोनिक्स को लेने की सलाह देते हैं लेकिन अधिकतर लोग कोलोन को क्लींज करने के लिए इन डिटॉक्स तरीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं। लैक्साटिव्स दूसरी डिटॉक्स डाइट से ज्यादा खतरनाक है। इसमें आंतों के मूवमेंट्स को बढ़ाया जाता है। इससे डायरिया, चक्कर आना, किडनी का खराब होना और कमजोरी जैसे दुष्परिणाम हो सकते हैं। कॉफी एनिमा की बात करें तो जिसमें गर्म कॉफी आंत में इंजेक्ट की जाती है इससे आंते खराब हो सकती है आंतों में छेद भी हो सकते हैं
अधिकतर डिटॉक्सेज का लंबे समय तक कोई फायदा नहीं होता। उन्होंने बताया कि शरीर का हर हिस्सा खुद अपने आप उसे डिटॉक्स करने की क्षमता रखता है। गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम और किडनी लीवर को टॉक्सिन बाहर निकालते हैं। जब लीवर के लिए गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल वेस्टेज बाहर निकालता है तो कोलोनिक्स लेना बेकार है। किडनी भी ब्लड से यूरिन के जरिए टॉक्सिन बाहर निकलती है। अगर किडनी अपना काम नहीं कर रही तो इसके लिए डायलसिस की जरूरत है न कि एप्पल साइडर वेनेगर की। डॉक्टर लॉरेन का मानना है कि अधिकतर लोग डिटॉक्स कराने के बाद अच्छा महसूस करते हैं क्योंकि उनके शरीर में टॉक्सिन नहीं रहते। इसकी जगह पर लोगों को प्रोसेस्ड फूड जिसमें अधिक मात्रा में सोडियम, फैट और शुगर हो खाने से बचना चाहिए।

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