जेनेवा । विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोना की महामारी ‘सबसे भयानक’ नहीं है, इससे भी ज्यादा घातक वायरस दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के इमर्जेंसी प्रोग्राम हेड डॉ. माइक रायन का कहना है कि महामारी ने दुनिया को नींद से जगाने का काम किया है। कोरोना ने दुनियाभर में 18 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। इससे पहले स्पैनिश फ्लू को भीषण वैश्विक महामारी माना जाता था जिसमें एक साल के अंदर 5 करोड़ लोगों की मौत हो गई थी। डॉ. रायन ने कहा कि यह महामारी बहुत गंभीर रही और धरती के हर कोने पर इसका असर रहा लेकिन जरूरी नहीं कि यह सबसे बड़ी रही हो। उनका कहना है, ‘यह जागने का वक्त है। हम सीख रहे हैं अब कि कैसे विज्ञान, लॉजिस्टिक्स, ट्रेनिंग और प्रशासन में बेहतरी की जा सकती है, कैसे संचार बेहतर किया जा सकता है लेकिन हमारा ग्रह नाजुक है।’ उन्होंने कहा कि हम एक जटिल वैश्विक समाज में रहते हैं और खतरे जारी रहेगा। हम इस त्रासदी से सीखना चाहिए कि मिलकर काम कैसे करना है। हम बेहतर काम करके उन्हें सम्मान देना चाहिए जिन्हें हमने खो दिया।
भले ही अमेरिका और यूरोप में वैक्सीन आ गई है लेकिन रायन ने कहा कि वायरस के हमारी जिंदगियों का हिस्सा बनकर रहने की संभावना ज्यादा है। उन्होंने कहा कि यह एक खतरनाक वायरस रहेगा लेकिन इससे खतरा कम होता जाएगा। यह देखना होगा कि वैक्सीन के इस्तेमाल से इसे किस हद तक मिटाया जा सकता है। भले ही वैक्सीन बहुत असरदार हो, इस बात की गारंटी नहीं है कि यह पूरी तरह वायरस या इससे होने वाली बीमारी को खत्म कर ही देगी। इसीलिए पहले ऐसे लोगों को वैक्सीन दी जा रही है जिन्हें इसका खतरा ज्यादा है। स्पैनिश फ्लू के शिकार ज्यादातर युवा थे और 20-40 साल की उम्र के लोगों की मौत की आशंका उसमें ज्यादा थी। माना जाता है कि अगर वैसी ही महामारी फिर से पैदा हुई तो पूरी वैश्विक सभ्यता ठप हो जाएगा और सबसे बड़ा खाद्य संकट पैदा हो जाएगा।