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उत्तर कोरिया ने मिलिट्री परेड में प्रदर्शित की सबमरीन से लॉन्च होने वाली शक्तिशाली बैलिस्टिक मिसाइल

by admin

प्योंगयांग । उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने राजधानी प्योंगयांग में शक्ति प्रदर्शन करते हुए सबमरीन से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को एक मिलिट्री परेड में पेश किया। तानाशाह किम जोंग ने पांच साल बाद हुई सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी की कांग्रेस के बाद इस खतरनाक हथियार की नुमाइश की।
लेदर जैकेट और फर की हैट पहने किम की तस्वीरें जारी की गई हैं, जिनमें किम हजारों सैनिकों और आम लोगों के सामने किम इल सुंग स्क्वेयर पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। तस्वीरों में सॉलिड-फ्यूल की कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल भी दिखाई दे रही है। तस्वीरों के मुताबिक इस एलएलबीएम का नाम पुकगुक्सॉन्ग-5 है। इसका पुराना वर्जन अक्टूबर में हुई परेड में दिखाया गया था। उत्तर कोरिया ने इसे ‘दुनिया का सबसे शक्तिशाली हथियार’ बताया है।
माना जा रहा है कि इसे देश की नौसेना की रोमियो-माड पनुब्बी ले जा सकती है। तस्वीरें सामने आते ही दुनियाभर में उत्तर कोरिया की शक्ति पर चर्चा शुरू हो गई। कैलिफॉर्निया के जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉन-प्रॉलिफरेशन स्टडीज में रिसर्चर माइकल डूट्समैन ने बताया कि यह नई मिसाइल काफी लंबी लग रही है। वहीं, कार्नेजी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में न्यूक्लियर पॉलिसी प्रोग्राम के सीनियर फेलो अंकित पांडा ने कहा है कि परेड में कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल देखी गई जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था।
इस परेड में ऐसे रॉकेट भी पेश किए गए जो दुश्मन को अपने क्षेत्र के बाहर ही पूरी तरह खत्म करने की क्षमता रखते हैं। माना जा रहा है कि इनकी क्षमता कोरिया के बाहर, कम से कम जापान तक मार करने की होगी। परेड में इन हथियारों का प्रदर्शन इसलिए ज्यादा अहम हो जाता है क्योंकि कुछ दिन पहले ही किम जोंग ने घोषणा की थी कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों को बढ़ाने जा रहा है।
किम जोंग उन ने सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी कांग्रेस के दौरान अपने अधिकारियों से कई हथियारों को ले जाने में सक्षम मिसाइलें, पानी के नीचे लॉन्च होने वाली न्यूक्लियर मिसाइलें, जासूसी सैटलाइट्स और परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बियां बनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया को अपने हमले की सटीकता बढ़ानी होगी और 15 हजार किलोमीटर तक मारक क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने साफ कहा था कि अमेरिकी हमले के खतरे को देखते हुए देश की सैन्य और परमाणु क्षमता को मजबूत करना जरूरी है।

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