नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट और टीके के प्रभाव को लेकर पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) से राहत की खबर दी है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि टीका डेल्टा वैरिएंट के कारण मौत के मुंह में जाने से बचाने में 99 फीसदी सुरक्षित है। वैज्ञानिकों ने ये दावा कुल 677 लोगों के स्वैब सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग के बाद आए नतीजों के बाद किया है।
इसमें से 592 लोगों ने टीके की दोनों डोज लगवाई थी जबकि 85 लोगों को टीके की एक खुराक लगी थी। वैज्ञानिकों ने पाया कि दोबारा संक्रमण के अधिकतर मामले डेल्टा वैरिएंट से जुड़े थे। टीका लगने के बाद सिर्फ 9.8 फीसदी लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई जबकि सिर्फ 0.4 फीसदी मरीजों की मौत हुई। इस आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि टीका डेल्टा के कारण अस्पताल में भर्ती होने के साथ मौत के खतरे को भी कम करता है।
69 फीसदी में बुखार प्रमुख लक्षण
शोध में शामिल मरीजों की औसत उम्र 31 से 56 वर्ष के बीच थी। इसमें 65.1 फीसदी पुरुष थे। 71 फीसदी मरीजों में लक्षण थे। 69 फीसदी में बुखार सामान्य लक्षण था, इसके साथ ही 56 फीसदी में बदन में दर्द, सिरदर्द, जबकि 56 फीसदी को जी मिचलाने और 37 फीसदी को गले में खराश थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रेकथ्रू संक्रमण पर नजर रखी जाए तो इलाज और नया टीका तैयार करने में मदद मिल सकती है।