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मानसून सत्र: पीएम मोदी का कांग्रेस पर प्रहार: हर जगह खत्म हो रही कांग्रेस, लेकिन उसे खुद से ज्यादा भाजपा की चिंता

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली (एजेंसी)।  संसद के मानसून सत्र का पहला दिन सोमवार (19 जुलाई) को शुरू हुआ जो कि काफी हंगामेदार रहा। 13 अगस्त तक चलने वाले मानसून सत्र के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के संसदीय दल को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए अपने सभी नेताओं से कहा कि वे कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच जमीनी स्तर पर ज्यादा से ज्यादा काम करें।

‘प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में विपक्षी दलों द्वारा हंगामा करने और कार्यवाही में बाधा पहुंचाने पर चिंता जताई और कहा कि ऐसे समय में जब पूरी मानव जाति कोविड-19 महामारी संकट का सामना कर रही है, विपक्षी दलों का यह रवैया बहुत गैर जिम्मेदाराना है। पीएम ने कहा कि कांग्रेस हर जगह खत्म हो रही है, लेकिन उसको अपनी नहीं बल्कि भाजपा की ज्यादा चिंता है।  विपक्ष निराश है, इसलिए चर्चा से भाग रहे हैं।  उन्होंने कहा कि कांग्रेस आरोपों की राजनीति करती है। कांग्रेस कई राज्यों में खत्म होती जा रही है, इसलिए चर्चा करने के बजाय हंगामा कर रही है। पीएम ने कहा कि असम, केरल और बंगाल हर जगह  चुनाव हार गए, फिर भी कांग्रेस की नींद नहीं खुली। उन्हें अपनी नहीं, हमारी चिंता ज्यादा है। बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने विपक्ष के रवैये पर बहुत चिंता व्यक्त की। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि सदन में चर्चा हो और सार्थक चर्चा हो। इसके लिए विपक्षी दलों को चर्चा में भाग लेना चाहिए।’ जोशी के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दो सालों से देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है। पूरी मानव जाति इससे प्रभावित हुई है लेकिन विपक्ष का रवैया बहुत गैर जिम्मेदाराना रहा है, खासकर कांग्रेस का।’

जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री से सभी सांसदों से कोरोना रोधी टीकाकरण अभियान के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही केंद्र सरकार की गरीब कल्याण योजना का लाभ हर गरीब तक पहुंचाना सुनिश्चित करने को कहा।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सोमवार को संसद का कामकाज बाधित हुआ था। यहां तक कि हंगामे के कारण प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के सदस्यों का दोनों में से किसी सदन में परिचय नहीं करा पाए। बाद में उन्हें मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रखना पड़ा।

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