दुर्ग। विश्व जनसंख्या दिवस जो कि हर वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है इसके उपलक्ष्य में एक पखबाड़ा पहले और एक पखवाड़ा बाद तक जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस बार पहला पखवाड़ा दंपत्ति संपर्क पखबाड़े के रूप में मनाया गया जिसमें परिवार नियोजन के लिए योग्य दम्पतियों से संपर्क कर उनको परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया है जबकि पखबाड़े का दूसरा चरण 11 से 24 जुलाई तक जारी है जिसमें योग्य दम्पतियों को परिवार नियोजन की सेवाएँ प्रदान की जा रहीं हैं।
दूसरे चरण के दौरान 12 से 19 जुलाई तक 150 महिलाओं और 3 पुरुषों ने नसबंदी करा कर परिवार नियोजन में अपनी जिम्मेदारी निभाई है। वहीँ परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों के प्रति भी लोगों में अब जागरुकता बढ़ रही है।अस्थायी साधनों के अंतर्गत अब तक 214 महिलाओं ने आईयूसीडी, 80 ने पीपीआईयूसीडी(प्रसव पश्चात आईयूसीडी) ,19 ने त्रैमासिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन “अंतरा” की सेवा प्राप्त की है। वहीं 1,720 महिलाओं को साप्ताहिक गर्भ निरोधक गोली छाया का वितरण किया गया है। इसके अतिरिक्त 3,909 (माला-एन) गर्भ निरोधक गोलियों का वितरण किया गया है साथ ही पुरुषों को 14,000 कंडोम का वितरण भी किया गया है
इस बारे में जिला परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. सीबीएस बंजारे ने बताया, “वर्ष 2019 में 11 से 24 जुलाई तक पखवाड़े के दौरान 463 महिलाओं व 20 पुरुषों ने नसबंदी की सेवा ली थी, किन्तु कोरोना संक्रमण की वजह से वर्ष 2020 में 36 महिलाओं ने ही नसबंदी की सेवा ली थी। वहीँ लॉकडाउन की वजह से अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों का उपयोग अधिक हुआ था। उन्होंने बताया, जनसंख्या स्थरीकरण पखवाड़े के दौरान कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए नसबंदी कराने वाले हितग्राहियों का कोरोना सहित अन्य टेस्ट निगेटिव होने पर ही नसबंदी की सेवा दी जा रही है। इसी क्रम में पाटन, धमधा , उतई-निकुम, अहिवारा, कुम्हारी एवं जिला अस्पताल में स्थायी सेवा दिवस पर नसबंदी के लिए निर्धारित तिथि पर नसबंदी की सेवा प्रदान की जा रही है। वहीँ 19 जुलाई को पाटन सीएचसी में 10 और जिला अस्पताल में 13 महिलाओं को नसबंदी की सेवा प्रदान की गयी है”।
तीन पुरुषों ने कराई नसबंदी
धमधा में पुरुष नसबंदी यानि एनएसवी के लिए 10 पुरुषों ने पंजीयन कराया था लेकिन खेती एवं अन्य कारणों से अब तक 3 पुरुषों ने नसबंदी कराकर समाज को सकारात्मक संदेश देने का कार्य किया है। बोरिद सेक्टर निवासी 35 वर्षीय हितग्राही ओंकार सोनी ने बताया, “पत्नी का दो बार बड़े ऑपरेशन से प्रसव होने से अब उसके स्वास्थ्य के लिए नसबंदी कराना अच्छा नहीं होता, इसलिए परिवार नियोजन काउंसलर से चर्चा के उपरान्त मैंने एनएसवी कराने का फैसला लिया। महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुषों की नसबंदी काफी आसान व सरल है।यह प्रक्रिया मात्र दस मिनट में पूरी हो जाती है न टांका न चिरा बस हो गया नसबंदी”।
इसी तरह मेढ़सरा निवासी योगेंद्र सिंह ने भी परिवार नियोजन के लिए पुरुष नसबंदी कराने में किसी तरह की समस्या नहीं होने की बात कही। उन्होंने कहा,“परिवार नियोजन कराना सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है। अब वक्त आ गया है जब रुढियों व परम्पराओं को तोड़कर एनएसवी को अपनाना चाहिए। परिवार की खुशहाली के लिए छोटा परिवार अच्छा होता है”।
धमधा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के फैमली प्लानिंग काउंसलर गोपाल निषाद ने बताया, “परिवार नियोजन में समय रहते स्थायी साधन अपनाने का फैसला फायदेमंद साबित होता है। उन्होंने बताया, परिवार नियोजन खुशहाली का जरिया है। जल्दी -जल्दी बच्चे न होने से मां व बच्चों का स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है। अस्पताल व नवजात की देख-रेख के खर्च का भी बोझ नहीं होता है। अच्छी सेहत व स्वास्थ्य के कारण काम का नुकसान भी नहीं होता और परिवार में आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहती है।