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‘फुलझर कलेवा’ में मिल रहे छत्तीसगढ़ व्यंजन : दिव्यांग महिलाएं सम्भालती है काम-काज, अन्य महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा स्त्रोत

by Bhupendra Sahu

महासमुंद  । रोजगार के सीमित संसाधनों में आजीविका चलाने का एक मात्र विकल्प स्वरोजगार ही है। आज भी समाज में महिलाएं घरों की चार दीवारी तक ही सीमित रहती है और उनको सिर्फ पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए समझा जाता है। मगर ऐसी बहुत सी महिलाएं है जो अपनी कार्यकुशलता एवं क्षमता के आधार पर अपना और अपने परिवार का नाम रोशन करने के साथ-साथ समाज के लिए भी एक प्रेरणा स्त्रोत हैं। जिले के बसना जनपद पंचायत के अंतर्गत जनपद पंचायत परिसर में स्थित ‘‘फुलझर कलेवा’’ में ज्योति महिला स्व-सहायता समूह, अरेकेल की दिव्यांग महिलाओं ने बिहान योजनांतर्गत विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने के साथ-साथ समोसा, कचैड़ी, बड़ा, चीला, मिर्ची भजिया, डोसा, इडली, मुंगौड़ी, गुलगुला भजिया, चाय सहित अन्य प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बना रही हैं। महिलाओं ने फुलझर कलेवा की दीवालों पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति, लोकनृत्य आदि को विभिन्न रंगों के साथ उकेरा है। यहां लोग छत्तीसगढ़ी व्यंजन के साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति को भी निहारते है और तारीफ करते हैं।

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परम्पराओं को संरक्षित करते हुए पारम्परिक खान-पान, आहार एवं व्यंजनों से देश दुनिया को परिचित कराना, वर्तमान में लोगों के पास समय की जब कमी है तब छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद लोगों को सुगमता पूर्वक उपलब्ध कराना, छत्तीसगढ़ी लुप्तप्राय विधि को जीवंत्य बनाए रखना हैं। उन्होंने बताया कि ज्योति महिला स्व-सहायता समूह में 05 सदस्य हैं। इनके अध्यक्ष कुमारी देवांगन, सचिव श्याम बाई सिदार, सदस्य सुमन साव, उकिया भोई एवं चन्द्रमा यादव शामिल हैं। समूह की अध्यक्ष कुमारी देवांगन ने बताया कि जनपद पंचायत के अधिकारियों ने उन्हें ‘‘बिहान’’ योजना के बारें में जानकारी दी। उन्हंे यह जानकारी अच्छी लगी। इससे वे प्रेरित होकर अपने सहयोगियों के साथ सपनों को साकार करने का मन बनाया।
आठ माह पहले माह नवम्बर में ‘‘फुलझर कलेवा’’ का शुभारम्भ हुआ था। ‘‘फुलझर कलेवा’’ का संचालन समूह की महिलाओं द्वारा रोज सुबह 09ः00 बजे से शाम 06ः00 बजे तक किया जाता है। जिससे उन्हें रोज अच्छी खासी कमाई हो रही है इस कमाई से वे काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि पहले वे लोग बेरोजगार रहते थे तो उन्हें काफी आर्थिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था। अब ‘‘फुलझर कलेवा’’ के संचालन होने से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और सफलता की राह खुल गई है। उन्होंने बताया कि ‘‘फुलझर कलेवा’’ में आस-पास के शासकीय कार्यालय इनमें जनपद पंचायत, मनरेगा, पोस्ट आॅफिस, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा यहां काम काज के लिए दूर-दराज के ग्रामीण भी यहां चाय-नाश्ता किया करते हैं। जिससे उन्हें आर्थिक लाभ प्राप्त हो रही है। समूह से जुड़ने पर उनको जिला स्तरीय अधिकारी एवं जनपद के अधिकारियों नेउन्हें प्रशिक्षण दिया। इसके अलावा उन्हें लेन-देन सही तरीके से करना, बचत करना ,उधार वापस करना, बैंक में खाता खुलवाना और हर हफ्ते बैठक करना ये सब बाते सिखाई गई।
राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ी खान पान एवं व्यंजन विक्रय के लिए गढ़कलेवा छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों में वित्तीय वर्ष 2020 में प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया। इसके अंतर्गत स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह को प्रशिक्षित कर तथा गढ़कलेवा हेतु स्थल, शेड आदि तैयार कर संचालन हेतु दिए जा रहे हैै। जिससे समूह के गरीब परिवारों को जीवन यापन के लिए रोजगार प्राप्त हो रहा है तथा वे आत्मनिर्भर बन रहें है।
उन्होंने बताया कि अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षणों से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें समाज में एक पहचान मिली और उनके नाम से लोग उन्हें जानने लगे। आज उनके माता-पिता और उनके पूरे परिवार को उन पर गर्व है। बिहान योजना के माध्यम से ऐसी महिलाएं जो अपने सपने पूरे करना चाहते है उन्हें रोजगार एवं समाज में एक नई पहचान मिल पाई। समाज में जो महिला सशक्तिकरण की अवधारणा है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो। वह सार्थक होती दिखाई दे रही है। उन्होंने बताया कि इस योजना से जुड़ने और ‘‘फुलझर कलेवा’’ में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने से हो रही आमदनी के बाद वे अपनी जैसी अन्य महिलाओं को भी जागरूक करने का प्रयास भी कर रहीं है।

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