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उद्यमिता केंद्र के रूप में विकसित होंगे गौठान

by Bhupendra Sahu
  • -कृषि आधारित एग्रो इंडस्ट्री की संभावनाओं की दिशा में किया जाएगा कार्य
  • -मुख्यमंत्री के सलाहकार  प्रदीप शर्मा ने किया दुर्ग जिले के गौठानों का निरीक्षण, पौहा नाले का भी किया निरीक्षण

दुर्ग । मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा आज दुर्ग जिले के दौरे पर रहे। यहाँ उन्होंने रिसामा, केसरा, कुम्हारी, सिकोला आदि में गौठानों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि गौठान का मूल उद्देश्य पशुधन संवर्धन के साथ ही जैविक कृषि की संभावनाओं की ओर बढ़ना है तथा स्वावलंबी गौठानों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को मजबूत करना है। इसके लिए गौठानों को उद्यमिता केंद्र के रूप में मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि गौठानों में एग्रो इंडस्ट्री की संभावनाएं भी विकसित हो सकती हैं। जो गौठान स्वावलंबन का लक्ष्य प्राप्त करेंगे और बढ़िया प्रदर्शन होगा, वहाँ एग्रो इंडस्ट्री की दिशा में कार्य किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप नरवा-गरुवा-घुरूवा-बाड़ी योजना के माध्यम से ग्रामीण विकास की दिशा में कार्य किया जा रहा है। गौठान की सामान्य गतिविधियों के अतिरिक्त आजीविकामूलक गतिविधियों का नवाचार भी तेजी से हो तो बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ के अवसर उपलब्ध होंगे। इस मौके पर खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन भी मौजूद थे। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे भी इस अवसर पर केसरा के गौठान में पहुंचे। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने गौठान की गतिविधियों के बारे में विस्तार से अवगत कराया। इस दौरान जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक अध्यक्ष श्री जवाहर वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शालिनी यादव, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अषोक साहू, ओएसडी मुख्यमंत्री श्री आषीश वर्मा, अन्य अधिकारी एवं ग्रामीण मौजूद थे।
गौठानों को लेकर ये महत्वपूर्ण निर्देश और सुझाव दिये श्री शर्मा ने
गोबर खरीदी से लेकर रखरखाव और वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया व्यवस्थित हो- श्री शर्मा ने कहा कि गोबर खरीदी से लेकर रखरखाव और वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह व्यवस्थित होनी चाहिए। इसमें पूरी तरह से तकनीकी मापदंड का पालन होना चाहिए। उन्होंने वर्मी कंपोस्ट की क्वालिटी के संबंध में भी जरूरी बातें बताईं। केसरा में केंचुआ पालन को लेकर उन्होंने खुशी जताई।
कदंब और बरगद जैसे पेड़ लगाएं- श्री शर्मा ने कहा कि बरगद और कदंब जैसे पेड़ लगाएं। पेड़ बड़ी हाइट के लगाएं। गौठानों में गर्मियों के दिन में पेड़ मवेशियों के लिए प्राकृतिक छाया का कार्य करेंगे और गौठान धीरे से मवेशियों के प्राकृतिक रहवास के रूप में बदल जाएंगे। केसरा में प्लांटेशन पर उन्होंने खुशी जताई।
पीने का पानी स्वच्छ हो, हमेशा उपलब्ध हो- उन्होंने कहा कि जो बातें मनुष्यों के लिए जरूरी होती हैं वो मवेशियों के लिए भी। मसलन पीने का पानी। यदि पानी दूषित हो तो मवेशी बीमार पड़ सकते हैं। पानी का टांका हमेशा साफ रहें, यह भरा रहे। चारे की पर्याप्त व्यवस्था हो। शेड की व्यवस्था भी जानवरों की संख्या के मुताबिक पर्याप्त हो।
गौठान समिति वहीं खर्च करे जो मनरेगा और चैदहवें वित्त से संभव नहीं हो- श्री शर्मा ने कहा कि गौठान समिति को गौठान को आगे बढ़ाने के लिए खर्च करने के लिए राशि भी दी जाती है। इसमें यह सुनिश्चित कर लें कि समिति ऐसे कार्य न करे जिन्हें मनरेगा और चैदहवें वित्त की राशि से किया जा सकता है।
ड्रेनेज हो बेहतर, सोक पिट बनवा लें- श्री शर्मा ने कहा कि गौठानों में ड्रेनेज अच्छा होना चाहिए, इसके लिए सभी गौठानों में ड्रेनेज की अच्छी प्लानिंग होनी चाहिए। इसके लिए कुछ सोक पिट भी बनवाये जा सकते हैं।
अपने घर की बाड़ी भी बोओ- गौठान में श्री शर्मा ने स्वसहायता समूहों की महिलाओं से बाड़ी के संबंध में पूछा। इन्होंने बताया कि बाड़ी में सब्जी लगा रहे हैं और नैपियर घास उगा रहे हैं। उन्होंने पूछा कि आप लोग अपने घर की बाड़ी लगा रही हो या नहीं। महिलाओं ने कहा कि हाँ, अपने घर में भी बाड़ी लगा रही हैं। उन्होंने कहा कि गौठान की बाड़ी से सीमित उद्देश्य पूरे हो सकते हैं लेकिन घर-घर बाड़ी पनपेगी तो बहुत कुछ बेहतर हो जाएगा।

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