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वल्र्ड बैंक ने बच्चों के पोषण पर फीडबैक लेने दो राज्य चुने, छत्तीसगढ़ पहुंची टीम… वल्र्ड बैंक की साउथ एशिया हेड श्रीमती ट्रिना ने जताई खुशी, कहा … बहुत अच्छे नवाचार, इसे देश भर में लागू करने सुझाव देंगे

by Bhupendra Sahu

दुर्ग। बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की लगातार वैश्विक स्तर पर कोशिश की जा रही है और इसके लिए वल्र्ड बैंक भी लगातार सहयोगी भूमिका निभाता रहा है। आज वल्र्ड बैंक की टीम ने इसी उद्देश्य से पाटन ब्लाक के ग्राम कसही का दौरा किया। विश्व बैंक की टीम ने सुपोषण अभियान का अध्ययन करने दो राज्य चुने हैं, इनमें एक छत्तीसगढ़ और दूसरा राज्य गुजरात है। छत्तीसगढ़ में यह टीम पाटन ब्लाक के ग्राम कसही पहुंची। यहाँ उन्होंने बच्चों से और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा गर्भवती माताओं से चर्चा की। टीम में श्रीमती ट्रिना, प्रैक्टिस मैनेजर, हेल्थ न्यूट्रिशन, साउथ एशिया, सीनियर हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. दीपिका चौधरी शामिल थे।

वल्र्ड बैंक की साउथ एशिया हेड ट्रिना दल की प्रमुख थी। उन्होंने बच्चों से पूछा कि चिक्की कैसा लगता है। बच्चों ने कहा कि बहुत बढिय़ा। उन्होंने मौजूद अधिकारियों से कहा कि यह बहुत अच्छा लगता है, बच्चों को मीठी चीजें पसंद हैं और चिक्की में प्रोटीन काफी मात्रा में होता है। कुपोषण दूर करने में प्रोटीन की बड़ी भूमिका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बताया कि प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत बच्चों की खुराक पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों के पोषण को सामुदायिक गतिविधियों का हिस्सा बनाया गया है और इस जिम्मेदारी में पूरा गाँव अपनी सहभागिता करता है। ट्रिना ने इस माडल की प्रशंसा की। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि हम गृह भेंट करने जाते हैं और लगातार अभिभावकों को बताते हैं कि बच्चे यदि कुपोषित रह जाएं तो उन्हें किस तरह की मुसीबत आ सकती है। इस दौरान संयुक्त संचालक नंदलाल चौधरी, उप संचालक श्रीमती श्रुति नेरकर, सहायक संचालक रमेश साहू, पोषण विशेषज्ञ डॉ. स्मृति वाजपेयी, परियोजना अधिकारी सुमीत गंडेचा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

साफ्टवेयर के बारे में भी जाना
जैन ने बताया कि वजन त्योहार 20 से 25 तारीख के बीच होता है और इस अभियान में हम बच्चों का वजन लेते हैं इससे उनके पोषण की स्थिति ट्रैक होती है। गंभीर कुपोषित बच्चों को तुरंत एनआरसी रिफर कर दिया जाता है। हर महीने वजन लेने की वजह से हम बच्चों की स्थिति को ज्यादा बेहतर तरीके से ट्रैक कर पाते हैं और हर कुपोषित बच्चे पर ज्यादा ध्यान देते हैं। कहा कि इसके लिए हमने साफ्टवेयर भी बनाया है।
सुपोषण वाटिका भी देखी
टीम के सदस्यों ने वहीं आंगनबाड़ी में सुपोषण वाटिका भी देखी। यहां पर बच्चों के लिए फलदार पौधे और सब्जी लगाई गई हैं ताकि उनके भोजन में पर्याप्त पोषक तत्व मौजूद रहें। ट्रिना ने बताया कि हम सर्वोत्तम पद्धतियों को देश भर में लागू करने के लिए अनुशंसित करते हैं। पाटन ब्लाक में अच्छा काम हो रहा है और हम इसे अपनी रिपोर्ट में देंगे।

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