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रेडी टू ईट का कार्य स्वसहायता समूह से लेकर निजी संस्था को देने के मुद्दे पर भाजपा का सदन में हंगामा… इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव लाकर चर्चा कराये जाने की मांग की

by Bhupendra Sahu
  • -आसंदी से अनुमति नहीं मिलने पर भाजपा सदस्यों ने सदन की कार्यवाही से किया बहिष्कार

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को प्रतिपक्ष भाजपा ने रेडी टू ईट का कार्य राज्य सरकार द्वारा स्व सहायता समूह से वापस लेकर एक निजी संस्था को दिए जाने का मामला जोरशोर से उठाया। इस मामले में भाजपा ने स्थगन प्रस्ताव लाकर इस विषय पर चर्चा कराये जाने की मांग की। आसंदी से इसकी स्वीकृति नहीं मिलने पर भाजपा सदस्यों ने सदन की कार्यवाही से बहिस्कार कर दिया।
प्रश्रकाल के बाद भाजपा सदस्यों ने स्वसहायता समूह से रेडी टू ईट का कार्य वापस लेकर एक निजी संस्था को दिए जाने के विषय पर स्थगन प्रस्ताव लाया। स्थगन प्रस्ताव में भाजपा सदस्यों ने कहा कि महिला एवं बाल विकास में अधिक महिला समूह की 20000 महिलाओं के परिवारों को 2009-10 में भाजपा सरकार द्वारा दी टू ईट का कार्य दिया गया था कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं आर्थिक रूप से हो सके। आज इन समूह के द्वारा 1000 करोड़ रूपए का रेडी टू ईट का प्रदाय प्रतिवर्ष किया जा रहा है लेकिन प्रदेश की सरकार इन संक्त होती महिलाओं को बेरोजगार करना चाहती है तथा भ्रष्टाचार के चलते पूरा कार्य बीज निगम को देना चाहती है क्योंकि बीज निगम के द्वारा अनुबंधित संस्था जो कि एक निजी फर्म की है उसको करोड़ों का फायदा पहुंचाया जा सके।

भाजपा सदस्यों ने आरोप लगाया कि पूरा विभागीय अमला अष्टाचार में डूबा हुआ है। महिला समूह से 25 प्रतिशत की राशि मीशन के रूप में तथा उनके अनुबंध को बढ़ाने के लिए 50000 रुपये तक की मांग की जाने की शिकायतें लगातार की गई है। महिला समूह के द्वारा उक्त भ्रष्टाचार का विरोध किये जाने के कारण अब विभागीय अधिकारियों के प्रस्ताव पर इन महिला समूह को हटाने का प्रयास किया जा रहा है जबकि सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा स्पष्ट निर्णय दिया गया है कि आंगनबाडिय़ों में जो भी पोषण आहार का वितरण किया जाएगा यह स्थानीय स्वयं सहायता समूह के माध्यम से किया जाना है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का पालन सरकार के द्वारा नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के द्वारा अक्टूबर 2019 में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया इसमें कई अरब रूपये खर्च किया गया और यह अभियान भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है।
भाजपा सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव में यह भी कहा कि सतत् विकास लक्ष्य 2019 में कुपोषण 35 प्रतिशत बताया गया था जबकि सतत् विकास लक्ष्य 2020 की रिपोर्ट में कुपोषण 40 प्रतिशत् बताया गया है अर्थात् कुपोषण में वृद्धि हुई है। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार 31 प्रतिशत वजन अनुसार व 35 प्रतिशत उंचाई अनुसार कुपोषण है जबकि मानसून सत्र 2021 में विभाग ने विधानसभा में बताया है कि 2019-20 में 5 प्रतिशत और 2020-21 में 3 प्रतिशत कुपोषण में कमी आयी है तथा मार्च 2021 में छत्तीसगढ़ में मात्र 15 प्रतिशत कुपोषण की जानकारी दी गई है। विभागीय अधिकारी आंकड़ों में हेराफेरी कर विधानसभा में झूठी जानकारी दे रहे हैं। 2015 में एनीमिक महिलाओं का प्रतिशत 47 प्रतिशत था आज 65 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक है। यह प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली है। भ्रष्टाचार में लिप्त विभाग महिला एवं बच्चों के निवाला छिनने में भी पीछे नहीं है उनका निवाला छीना जा रहा है। भ्रष्टाचार में अंकुश नहीं लगाने तथा महिला समूह को बेरोजगार करने के कारण महिला समूह में व आम जनता में भारी आकोश है। भाजपा सदस्यों ने इस विषय पर आसंदी से मांग की कि तत्काल इस विषय पर सदन में चर्चा होनी चाहिए।

इस मामले में सत्ता पक्ष की ओर से विभागीय मंत्री ने वक्तव्य सदन में रखा। वक्तव्य में कहा गया कि यह सही है कि पूरे प्रदेश में वर्ष 2009 से महिला स्व सहायता समूहों द्वारा रेडी टू ईट का निर्माण एवं वितरण का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 1600 महिला स्व सहायता समूहों द्वारा रेडी टू निर्माण एवं का कार्य किया जा रहा है जिसमें लगभग 16 हजार महिलाएं संलग्भ है। किसाए द्वारा औसतन 425 करोड़ रूपये का भुगतान प्रतिवर्ष रेडी टू ईट प्रदायकर्ता महिला सहायता समूह का किया जाता है। यह भी सही है कि वर्तमान में राज्य शासन द्वारा रेडी टू ईट पूरक पोषण आहार निर्माण एवं वितरण का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के माध्यम से कराये जाने का निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में अनुबंधित महिला स्व सहायता समूहों को छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा रेडी टू ईट के वितरण कार्य में संलग्न किया जायेगा, इसलिए रोजगार छीनने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।

मंत्री ने भ्रष्टाचार के चलते रेडी टू ईट निर्माण कार्य छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को दिया गया है और पूरा विभागीय अमला भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है के आरोप को गलत बताते हुए कहा कि महिला स्व सहायता समूहों से 25 प्रतिशत की राशि कमीशन के रूप में तथा उनके अनुबंध को बढ़ाने के लिए 50 हजार रूपये तक की मांग की जाती है। राज्य सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु करबद्ध है। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में अगस्त 2009 से पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों में लगभग 18000 महिला स्व सहायता समूह द्वारा नाश्ता एवं गर्म भोजन की सामग्री प्रदाय करने में संलग्न है। यह कार्य निरंतर जारी रहेगा। उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेशानुसार हितग्राहियों को प्रदायित पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत वितरित रेडी टू ईट निर्धारित ऊर्जा, माइकोन्यूट्रीएंट्स फोर्टिफिकेशन युक्त तथा विटामिन ए, बी 12 सी एवं डी फोर्टिफ ाईड एवं फ ाइन मिक्स होना चाहिए. साथ ही रेडी टू ईट मानव स्पर्श रहित स्वचलित मशीन निर्मित एवं जीरो संक्रमण रहित होने के निर्देश है उच्चतम न्यायालय द्वारा बच्चों एवं महिलाओं को माइकोन्यूट्रीएंट्स युक्त पूरक पोषण आहार वितरण के निर्देश को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के संचालन में जिला प्रशासन एवं जनमानस की भागीदारी है। 2 अक्टूबर 2019 से प्रारंभ इस योजना में लगभग 4 लाख 32 हजार बच्चों को लक्षित किया गया था जिसके विरूद्ध अब तक लगभग 153000 बच्चे कुपोषण से बाहर आ चुके है। अत: यह कथन सहीं नहीं है कि इस योजना के संचालन में भ्रष्टाचार व्याप्त है।

उन्होंने कहा कि कुपोषण को तीन मापदंड क्रमश: बौनापन, दुबलापन एवं कम वजन के रूप में मापा जा सकता है। एसडीजी अनुक्रमणिका 2018, 2019,2020-21 सीएनएनएस (2016-2018) के आंकड़ों पर आधारित है जिसमें 40 प्रतिशत कुपोशण प्रतिवेदित हुआ है। एनएफएचएस-4 जो कि 2016 में प्रकाशित हुआ था उसमें राज्य का कुपोषण का प्रतिशत 37.7 प्रतिशत दर्शाया गया था। वर्ष 2018 में कुपोषण की दर में बढ़ोत्तरी परिलक्षित हुई थी। उम्र के अनुसार वजन की स्थिति पर एनएफएचएस-5 और सीएनएनएस के आंकड़ों का विशेषण करते है तो 2018 में राज्य में 40 प्रतिशत कुपोषण बताया गया था और अभी एनएफएचएस-5 के प्रतिवेदन में कुपोषण 31.3 प्रतिशत बताया गया है। स्पष्ट है कि 2019 से 2021 के मध्य कुपोषण में 8.7 प्रतिशत की कमी हुई है। आंकड़ों से यह भी स्पष्ट है कि वर्ष 2015-16 में कुपोषण का राष्ट्रीय औसत 35.8 प्रतिशत तथा जबकि छग में 37.7 प्रतिशत कुपोषण था। वर्तमान एनएफएचएस-5 में कुपोषण का राष्ट्रीय औसत 32.1 प्रतिशत जबकि छत्तीसगढ़ में कुपोषण 313 प्रतिशत है। वर्तमान में ग राष्ट्रीय औसत से उपर आ गया है।

मंत्री ने बताया कि एनएफएमएस सीएनएनएस या अन्य कोई राष्ट्रीय सर्वे में पर परिणाम निकाला जाता है। एनएफएचएस में राज्य के लगनय 55.5 लाख से सैम्पल के रूप में 24550 परिवार का सैम्पल लिया गया लगभग 0.44 से चर्चा करके यह परिणाम निकाला गया है। राज्य में करने के लिए प्रतिवर्ष वजन त्योहार का आयोजन वर्ष 2012 से किया जा रहा है। के आंकड़ों के आधार पर ही शासन द्वारा योजना बनायी गई और इसी आंकड़े को प्रदर्शित किया गया। वर्तमान में जुलाई 2021 में लगभग 22 लाख बच्चों का 10 दिवस के भीतर वजन लिया जाकर परिणाम निकाले गये हैं। इन आंकड़ों के सत्यापन के लिए अन्य विभागों के अधिकारियों तथा बाह्य एजेंसी की सेवायें ली गई थी। आशय यह है त्यौहार 2021 के अनुसार दर्शित कुपोषण का ऑफा (10.06 प्रतिशत सही है एवं प्रमाणिक है। वजन रथीहार 2019 एवं 2021 की तुलना करते है तो में 3.51 प्रतिशत की कमी परिलक्षित हो रही है। कुपोषण का आका निरंतर परिवर्तनशील होता है अर्थात यदि कोई बच्चा आज सामान्य है तो छोटी सी बीमारी, दस्त, बुखार आने पर वह तत्काल कुपोषण की श्रेणी में चला जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा प्रत्येक माह बच्चों का वजन लिया जाता है जिसे ऑनलाईन पोर्टल पर दर्ज किया जाता है। इन प्रतिवेदनों के अनुसार कुपोषण के प्रतिशत में निरंतर रूप से परिवर्तन होता है और यह स्वाभाविक भी है। उन्होंने बताया कि विधानसभा प्रस्त के आधार पर तत्कालिक उपलब्ध आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा उत्तर प्रेषित किये जाते हैं। सभी माह में वजन त्यौहार या एनएफएचएस डेटा उपलब्ध नहीं हो सकता है। कुपोषण का आकडा परिवर्तनशील होता है। अत: गारिक प्रतिवेदनों में उपलब्ध आकडे प्रेषित किये जाते हैं। माननीय विधानसभा को गलत आकडे प्रेषित करने जैसी स्थिति कभी भी निर्मित नहीं हुई है। महिलाओं में एनीमिया का स्तर बढऩे के संबंध में तथ्य यही है कि मात्र 0.44 प्रतिशत परिवारों के सर्वे के आधार पर परिणाम शत-प्रतिशत प्रमाणिक नहीं सकते हैं। उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि कुपोषण की दर में तीव्र कमी लाने के लिए बच्चों एवं महिलाओं को पौष्टिक एवं गुणवत्तायुक्त आहार देने की आवश्यकता है। महिला त्व-सहायता समूहों द्वारा प्रदायित रेडी टू ईट में आरडीए  नहीं होने तथा मानक गुणवत्ता अनुसार रेडी टू ईट की आपूर्ति नहीं होने के फलस्वरूप राज्य शासन द्वारा केवल रेडी टू ईट का निर्माण शासकीय एजेंसी से कराये जाने का निर्णय लिया है। इस पूरी प्रक्रिया में पूर्व से अनुबंधित स्व-सहायता समूहों का हित सुरक्षित रहेगा तथा उनकी सेवायें पोषण आहार के वितरण में ली जायेंगी।
छत्तीसगढ़ सरकार महिलाओं के हित संरक्षण व उनकी सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। आईसीडीएस पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अन्तर्गत गरम भोजन वितरण में लगभग 18 हजार स्व-सहायता समूह सम्बद्ध है। शिक्षा विभाग, कृषि विभाग, वन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग एवं अन्य विभागों द्वारा भी अपनी योजनाओं में स्व-सहायता समूह की मागीदारी रखी गई है। उन्होंने कहा कि इसलिए इस विषय पर लाया गया स्थगन प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
मंत्री का वक्तव्य आने के बाद आसंदी ने स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद भाजपा की ओर से विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सदन परंपराओं और नियमों से चलता है। जब 20 हजार महिलाएं सड़क पर है तो उन पर चर्चा नहीं करें तो किस पर करें। इस पर आसंदी से व्यवस्था अनुपूरक बजट पर चर्चा करने की व्यवस्था आई, जिसके बाद भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अगर स्थगन विषय पर तत्काल चर्चा नहीं हुई तो वे सदन की कार्यवाही से बहिष्कार करेंगे। विधायक के इस कथन के बाद भी जब आसंदी से व्यवस्था नहीं आई तो भाजपा के सभी विधायकों ने सदन की कार्यवाही से बहिष्कार कर सदन से बाहर चले गये।
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