नई दिल्ली । जदयू के प्रमुख नीतीश कुमार ने इस बार भाजपा को बड़ी पटखनी दी है। उन्होंने महाराष्ट्र में फिर भाजपा सरकार बनने की खुशी पर भी पानी फेर दिया। तमाम मान मनुहार के बाद भी उन्होंने न केवल एनडीए व भाजपा से किनारा किया बल्कि, भाजपा के प्रबल विरोधियों की गोद में जा बैठे। कहते हैं कि ‘यूं ही कोई बेवफा नहीं होता…जरूर कोई वजह रही होगी।’
नीतीश कुमार ने न केवल बिहार में गठबंधन पलट कर दिया है, बल्कि भाजपा नीत एनडीए के लिए 2024 के आम चुनाव का भी मैदान मुश्किल कर दिया है। एनडीए के सारे समीकरण गड़बड़ा गए हैं और विपक्ष को एकता का बोनस उपहार में दे दिया है। नीतीश कुमार का भाजपा, एनडीए व पीएम नरेंद्र मोदी से मोहभंग यूं ही नहीं हुआ है। इसके पीछे लंबी राजनीतिक महत्वाकांक्षा, अपनी अलग राजनीतिक पहचान कायम रखने और जदयू का भविष्य बचाने की रणनीति दिखाई दे रही है। नीतीश कुमार ने एक तीर से कई निशाने साधकर लगातार ठंडे पड़ रहे विपक्ष में प्राण फूंक दिए हैं।
एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में उसके लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। अब राज्य में एकमात्र प्रमुख विपक्षी दल बन कर रह गई है, यानी एक तरह से अलग थलग पड़ गई है। 2019 के आम चुनाव में एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीती थी।