अयोध्या । सीएम योगी आदित्यनाथ बुधवार को रामनगरी अयोध्या पहुंचे। यहां उन्होंने गोलाघाट स्थित अम्मा जी मंदिर में जगद्गुरु रामानुजाचार्य की चार फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इस प्रतिमा को स्टेचू ऑफ यूनिटी का नाम दिया गया है। इस स्थान की स्थापना रामानुजाचार्य सम्प्रदाय के जगतगुरू द्वारा किया गया था, जिसका मूल स्थान तिरूनारायणपुरम मेलुकोटे, कर्नाटक में स्थित है। इस पीठ में वर्तमान पीठाधीश्वर यदुगिरि यतिराज रामानुजाचार्य है, इसके पीठाधीश्वर हाथ में त्रिदंड धारण करते है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के इस धराधाम पर 120 वर्षों बाद रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण हुआ, आप सबको बधाई व आभार। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जानते हैं कि भारत दुनिया के अंदर ज्ञान की भूमि है।
यहां वेदों की परंपरा का साक्षात दर्शन होता है। वेदों की परंपरा और मंत्र ऋषियों ने उद्घाटित किये, यही भारत की परम्परा है। संतों-ऋषियों का सानिध्य भारत को प्राप्त हुआ। अद्वैत हो या द्वैत हो ये मंजिल पर पहुंचने के अलग-अलग मार्ग हैं। हमारे संतों ने हमें वो रास्ता दिखाया। उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषा में ऋषियों ने हमेशा यही कहा, महाजनों येन गत: सपंथा। यही भारत की विराटता है इसीलिए कहा गया एकम सत्य विप्रा बहुदा वदन्ति….। वर्षों पहले स्वामी रामानुजाचार्य जी ने आक्रांताओं से बचने के लिए एक द्वैत मार्ग दिखाया। उससे पहले शंकराचार्य जी ने अद्वैत मार्ग हमको दिखाया। ये सभी दर्शन हमको अलग अलग कालखंड में दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि आज भारत अपने संतों की उन शिक्षाओं पर गर्व करता है। कल हम सबने उज्जैन में महाकाल के भव्य रूप का दर्शन किया। इससे पहले हमने काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण देखा। उससे पहले बाबा केदारनाथ के पुनरुद्धार को देखा। उससे पहले हमने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शिलान्यास को देखा। यही नया भारत है…। हमको इस पर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। स्वामी रामानुजाचार्य जी इस धराधाम पर अवतरित हुए थे। राम मंदिर के पहले उनकी प्रतिमा का अनावरण हो रहा है। यह गर्व का विषय है..। इस मठ द्वारा अनेक गरीब कल्याणकारी कार्य किये जा रहे हैं। ये सारे कार्य धर्म के ही कार्य हैं। हमारे मठ मंदिर प्राचीन काल से ही अन्न भोज का कार्य कर रहे हैं। इसीलिए कहा जाता है कि जात पात पूछे नहीं कोई, हरि का भजे तो हरि का होइ ..। इसी मार्ग पर हमको चलकर सनातन धर्म के मूल्यों को मजबूत करना है। लोककल्याण के लिए सनातन धर्म ही नहीं सभी भक्त जब उस परंपरा से जुड़ेंगे तो हम एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने में सफल होंगे। उक्त अवसर पर अयोध्या के प्रसिद्व संतों में श्री धाराचार्य श्री राघवाचार्य सहित अनेक गणमान्य मनीषी एवं विद्वान उपस्थित थे।
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