नई दिल्ली । साउथवेस्ट मॉनसून की भले ही विदाई हो चुकी हो, लेकिन नॉर्थईस्ट मॉनसून के चलते कई राज्यों में अब भी जबरदस्त बरसात हो रही है। दक्षिण के कई राज्यों में इन दिनों हल्की से लेकर भारी बारिश जारी है। मौसम विभाग ने तमिलनाडु समेत कई राज्यों में अगले पांच दिनों तक रोजाना बारिश का अनुमान जताया है। ऐसे में इन राज्यों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। मौसम विभाग ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि एक नवंबर से पांच नवंबर तक हल्की/मध्यम से लेकर भारी बारिश तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, केरल और माहे में होगी। तटीय आंध्र प्रदेश, यनम और रायलसीमा में एक नवंबर को भारी बरसात होने की संभावना है। वहीं, 04-06 नवंबर के दौरान पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में छिटपुट हल्की/मध्यम बारिश और बर्फबारी की संभावना है और 05 और 06 नवंबर, 2022 को पंजाब में अलग-अलग जगह पर बारिश हो सकती है।
दिल्ली में एयर क्वालिटी गंभीर श्रेणी में पहुंची
धीमी हवाएं चलने और पंजाब में पराली जलाए जाने के मामले बढऩे के बीच वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में आ जाने के कारण दिल्ली में मंगलवार को धुंध और धुएं की परत छाई रही और दृश्यता स्तर कम रहा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की उपग्रह से ली गई तस्वीरों में कई लाल निशान दिख रहे हैं, जो पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाए जाने के मामलों को दर्शाते हैं। पूर्वी पाकिस्तान से पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंधु-गंगा के मैदानों के विशाल क्षेत्रों में धुंध की एक परत दिखाई दे रही है। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार को पूर्वाह्न 10 बजे 429 पर रहा, जबकि यह सोमवार को शाम चार बजे 352 था। यदि एक्यूआई 400 से अधिक हो तो उसे गंभीर श्रेणी में माना जाता है और इसके कारण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है।
जानिए, कहां कितना रहा एक्यूआई
बुराड़ी क्रॉसिंग (एक्यूआई 477), बवाना (465), वजीरपुर (467), नरेला (465), विवेक विहार (457), रोहिणी (462), जहांगीरपुरी (475), सोनिया विहार (469) और अशोक विहार (465) में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, कई क्षेत्रों में पीएम 2.5 यानी फेफड़ों को नुकसान पंहुचा सकने वाले सूक्ष्म कणों की सांद्रता 450 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रही, जो 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग आठ गुना अधिक है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, जब एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं चरम पर होती हैं, तब राजधानी में लोग सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं।
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