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राहुल गांधी ने किए महाकाल के दर्शन

by Bhupendra Sahu

उज्जैन । मध्यप्रदेश में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मंगलवार को सातवां दिन है।मंगवार सुबह भारत जोड़ो यात्रा सांवेर से शुरू होकर उज्जैन पहुंची। राहुल गांधी बाबा महाकाल का आशीर्वाद लेने पहुंचे। यहां शासकीय पुजारी के आचार्यत्व में उन्होंने भगवान महाकाल का पूजन किया। राहुल गांधी ने महाकालेश्वर मंदिर में आज भगवान महाकाल के दर्शन और पंचामृत अभिषेक पूजन किया। यहां राहुल रुद्राक्ष की माला पहने नजर आए। उन्होंने धोती पहनकर बाबा महाकाल की पूजा की। वे 13 मिनट तक गर्भगृह में रहे। उन्होंने साष्टांग दंडवत होकर बाबा महाकाल को प्रणाम किया। साथ ही नंदी महाराज के कान में मनोकामना कही। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी उनके साथ थे।

इसके बाद राहुल सामाजिक न्याय परिसर में सभा को संबोधित करने पहुंचे। राहुल गांधी ने तीन बार ‘जय महाकाल’ बोलकर अपना संबोधन शुरू किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि करीब 80 दिन हो गए। भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर जा रही है। आज हम आपके इस पवित्र शहर में आए। हम सबने बाबा महाकाल के दर्शन लिए। बहुत अच्छा लगा। आपके शहर में महाकाल मंदिर है। यह शिव जी का मंदिर है। आज हिंदुस्तान भगवान शिव को मानता है तो क्यों मानता है? वे संसार के सबसे बड़े तपस्वी थे, इस वजह से हिंदुस्तान उन्हें मानता है। इसी तरह भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण भी तपस्वी थे। हिंदू धर्म के किसी भी भगवान को देखिए, सभी ने तपस्या की है। सही या गलत? सिर्फ भगवान तपस्या नहीं करते, हिंदुस्तान तपस्वियों का देश है।
राहुल ने कहा कि हम तपस्वियों का आदर करते हैं। उनके सामने हाथ जोड़ते हैं। इस देश में यह तपस्वी कौन है? आपने कहा कि मैंने कन्याकुमारी से यात्रा की। बहुत बड़ी तपस्या की। यह कोई बड़ी तपस्या नहीं है। इसमें कुछ नहीं है। मैं तो आपको बताता हूं कि हिंदुस्तान में तपस्या कौन करता है। कोविड के समय जो मजदूर बेंगलुरू, मुंबई, चेन्नई या पंजाब से देश के एक कोने से दूसरे कोने गए, वह तपस्या करते हैं। इस देश के करोड़ों किसान, उनके परिवार हर रोज तपस्या करते हैं। बढ़ई नाई, माली, इलेक्ट्रिशियन, छोटे दुकानदार, मजदूर.. ये सब रोज तपस्या करते हैं। जिंदगीभर करते हैं। तपस्या करते-करते मर जाते हैं।
उन्होंने कहा कहा कि मेरी तपस्या तो कुछ नहीं है। यह तो तीन महीने की तपस्या है। पांच-छह घंटे। आठ घंटे लगा लो। थोड़ा घुटने में दर्द होता है। थोड़ा प्यास लगती है। यह तपस्या नहीं है। तपस्या किसान, मजदूर करता है। मेरा सवाल है – हिंदू धर्म कहता है कि तपस्वियों की पूजा होनी चाहिए। इस देश में तपस्वियों की पूजा क्यों नहीं हो रही है? जो तपस्या कर रहा है, उसे इस देश की सरकार कुछ नहीं देती। दो-चार लोग नरेंद्र मोदी जी की पूजा करते हैं, उन्हें सारा लाभ मिल जाता है। रेलवे, पोर्ट, एयरपोर्ट… सब दे दिया। यहां जो ड्रोन उड़ रहा है, यह भी ले जाएंगे उठाकर। सड़कें, बिजली, पानी, सब कुछ उनके पास है। चार-पांच लोग प्रधानमंत्री की पूजा करते हैं और हिंदुस्तान का पूरा धन उनके हवाले कर दिया जाता है।
राहुल ने कहा कि किसान सुबह चार बजे उठता है। हाथ फट जाता है। खून निकलता है। मैं दो हजार किमी चल रहा हूं। हाथ मिलाया है। किसान के हाथ फटे होते हैं। उसका दर्द, उसके हाथ में होता है। उसकी तपस्या के निशान उसके हाथ में होते हैं। इन सड़कों पर हजारों किसानों से मैंने हाथ मिलाया है। हर किसान पूछ रहा है कि राहुल जी इस देश में हम तपस्या करते हैं, इस तपस्या का हमें फल क्यों नहीं मिलता? फर्टिलाइजर क्यों नहीं मिलता और जब मिलता है तो यह इतना महंगा क्यों है? हमें हमारी मेहनत का सही दाम क्यों नहीं मिलता। हम बीमा का पैसा भरते हैं, तूफान आता है, आंधी आती है, खेत बर्बाद हो जाता है, रोना आता है। हम बीमा कंपनी को फोन करते हैं तो कोई फोन नहीं उठाता। इंटरनेट पर सब कुछ मिल जाता है, लेकिन किसान को जो बीमा देने वाली कंपनी होती है, उसका एड्रेस नहीं मिलता। फिर कहते हैं कि राहुल जी, पेट्रोल 60 रुपये का था। आज 107 रुपये का है। हर रोज हमारी जेब में से पैसा निकलता है। राहुल जी, हम तपस्वी हैं। यह सारा का सारा पैसा उन तीन-चार पूजा करने वालों के हवाले क्यों जा रहा है?
उन्होंने कहा कहा कि गीता में लिखा है कि तपस्या करनी चाहिए। फल नहीं देखना चाहिए। मगर हिंदुस्तान की सरकार का काम जो तपस्या करता है, उसे फल देने का है। मैंने किसानों की बात की। सिर्फ वो तपस्या नहीं करते। इन्हीं सड़कों पर मैं हर रोज युवाओं से मिलता हूं। पढ़ाई की है। स्कूल गए। बदमाशी की तो दो-तीन थप्पड़ भी लगे हैं। तपस्या करने के बाद पता लगता है कि व्यापमं स्कैम हो गया है। तपस्वियों से चोरी हो गई। छोटे-छोटे तपस्वियों से स्टेट की सरकार चोरी करती है। उनका भविष्य खत्म कर दिया। आज बच्चों ने मुझसे कहा कि इंजीनियर बनना चाहते हैं। क्या तपस्या की? पढ़ाई की। इंजीनियरिंग डिग्री ली। पिता किसान है, उन्होंने भी तपस्या की। मेरी मां रोज खाना बनाती है। उनकी भी तपस्या है। मेरी दादी की भी तपस्या है। डिग्री मिली तो क्या हुआ? चुप हो जाते हैं। इस देश में तपस्या का फल नहीं मिल सकता। तपस्या का फल मजदूरी है। हिंदुस्तान और मध्यप्रदेश की सरकार ने यह दिया है। आजकल तो पकौड़े भी नहीं चल रहे हैं।
राहुल ने कहा कि अब छोटे दुकानदारों की बात करते हैं। स्मॉल और मीडियम बिजनेस है। मैं महाकाल गया हूं तो तपस्या की बात करनी है। उन्हीं से सीखा हूं मैं। छोटा दुकानदार सुबह उठता है। उसके साथ दो-तीन लोग काम करते हैं। दिनभर काम करता है। कभी-कभी किसी को पैसे की जरूरत होती है तो वह भी दे देता है। उसके पास इतना पैसा नहीं होता जितना बड़े उद्योगपतियों के पास होता है। बड़े उद्योगपतियों का कैश फ्लो रुक जाए तो उन्हें कोई मुश्किल नहीं होती। कोरोना के समय हुआ भी। एक साल तक कैश फ्लो रोक लिया तो भी उन्हें कोई समस्या नहीं है। इन बेचारों का कैश फ्लो 15-20 दिन रोक लिया तो इनका गला घोंट दिया, ऐसा लगेगा। दो महीने कर दिया तो इन्हें मार दोगे, खत्म कर दोगे। मैं यह दुकानदारों और स्मॉल और मीडियम बिजनेस की बात क्यों करता हूं, क्योंकि यह लोग ही देश को रोजगार देते हैं। मतलब पूरा सिस्टम जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कहा कि सरकार ने क्या किया? आठ बजे… नरेंद्र मोदी ने जी नोटबंदी की थी। फिर चार घंटे बाद 12 बजे जीएसटी लागू की थी। इनकी जो तपस्या है, उस तपस्या से चोरी की। यह पॉलिसी नहीं थी। यह मत सोचिए… जो छोटे दुकानदार हैं, वह मत सोचिए कि यह पॉलिसी थी। यह आपके कैश फ्लो को खत्म करने के हथियार थे। यह तो किसानों पर भी पॉलिसी थोपना चाहते थे। किसानों ने नहीं करने दिया। यह तीन-चार बड़े उद्योगपतियों के हथियार थे। यह उनके हथियार हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि इनका लक्ष्य क्या है? हिंदुस्तान के तपस्वियों को दबाओ, कुचलो और उनके जेब में जो पैसा है, उसे छीनकर पांच-छह लोगों को दे दो। नुकसान देश का हो रहा है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। मिल नहीं सकता क्योंकि आपने रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। नोटबंदी, जीएसटी और कोविड में जो किया, अरबपतियों का कर्जा माफ कर दिया, जिन्हें देना था उन्हें एक रुपया तक नहीं दिया। रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। इसे फिर से जोडऩा होगा, तब जाकर हिंदुस्तान को रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि प्रेस की बात करता हूं। यह जो बैठे हैं, इनकी गलती नहीं है। यह बेचारे तपस्या करते हैं। पैदल नहीं चल रहे, पर ट्रक पर तो बैठे हैं। अस्सी दिन से बैठे हैं। इनकी तपस्या क्या है- सच्चाई को देखो, सच्चाई को समझो और देश की जनता को बताओ। यह करना चाहते हैं। यह देश को सच्चाई दिखाना चाहते हैं। यह लड़ते हैं। पीछे से लगाम लगी हुई है। लगाम किसके हाथ में है? जो लोग नरेंद्र मोदी जी की पूजा कर रहे हैं, उनके हाथ में है। यह हो रहा है देश में।

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