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सांकेतिक जीडीपी वित्त वर्ष 2022-23 में 15.4 प्रतिशत तक बढ़ेगा

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली । केन्द्रीय बजट 2023-24 पेश करते हुए कहा ”अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक बिखराव से, आंशिक रूप से अपने विशाल घरेलू बाजार और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं और कारोबारी प्रवाहों से अपेक्षाकृत अधिक असंहत रूप से एकीकृत होने के कारण अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित बनी रही।ÓÓ वित्तीय नीतिगत वक्तव्यों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में सांकेतिक जीडीपी के वर्ष-दर-वर्ष 15.4 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है, जबकि यह वित्त वर्ष 2021-22 में यह वृद्धि 19.5 प्रतिशत थी। वास्तविक जीडीपी के वित्त वर्ष 2020-21 में 8.7 प्रतिशत की तुलना में वर्ष-दर-वर्ष 7 प्रतिशत तक बढऩे का अनुमान है। वित्तीय नीतिगत वक्तव्यों में रेखांकित किया गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय कृषि क्षेत्र के 3.5 प्रतिशत तक बढऩे का अनुमान है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावा भारत हाल के वर्षों में कृषि उत्पादों के निवल निर्यातक के रूप में उभरकर सामने आए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कृषि निर्यात बढ़कर 50.2 बिलियन डॉलर हो गया। देश में कुल खरीफ खाद्यान उत्पादन 149.9 मिलियन टन अधिक रहने का अनुमान है, जो कि पिछले पांच वर्षों के औसत खरीफ खाद्यान उत्पादन से अधिक है। हालाकि धान की बुवाई का क्षेत्रफल लगभग 20 लाख हेक्टेयर था, जो वर्ष 2021 की तुलना में कम है।

रबी की बुवाई में हुई अच्छी प्रगति की सहायता से कृषि क्षेत्र में वृद्धि होने की व्यापक संभावना है। रबी की बुवाई का क्षेत्रफल पिछले साल की तुलना में अधिक रहा है। इसकी बदौलत ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2022-23 में 4.1 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी गई, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह वृद्धि 10.3 प्रतिशत दर्ज की गई थी। घरेलू ऑटो क्षेत्र की बिक्री में दिसंबर, 2022 में वर्ष-दर-वर्ष 5.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में घरेलू ट्रैक्टर, दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री में जबरदस्त वृद्धि हुई, जो ग्रामीण मांग में हुए सुधार की प्रतीक है। सेवा क्षेत्र की वित्त वर्ष 2022-23 में 9.1 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि के साथ वापसी होगी। वित्त वर्ष 2021-22 में इसमें 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। खपत में हुई तीव्र बढ़ोतरी संपर्क प्रधान सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण द्वारा भी हुई है। जिसके बाद विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम का स्थान रहा। मांग के संबंध में, निजी खपत में निरंतर वृद्धि देखी गई। इसके वित्त वर्ष 2021-22 में यह 7.9 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2022-23 में इसके 7.7 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान है।आपूर्ति श्रृंखला में निरंतर रुकावटों और अनिश्चित भू-राजनीतिक वातावरण के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान निर्यात में 12.5 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी में निर्यात के हिस्से में भी (2011-12 के मूल्य पर) 22.7 प्रतिशत वृद्धि होगी, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 21.5 प्रतिशत रही थी।वित्तीय नीतिगत वक्तव्यों में पाया गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि को ठोस घरेलू मांग और पूंजीगत निवेश में वृद्धि से सहायता मिलेगी। मौजूदा वृद्धि के पथ को अर्थव्यवस्था की दक्षता और पारदर्शिता को संवंर्धित करने वाले आईबीसी और जीएसटी जैसे विविध संरचनात्मक बदलावों तथा सुनिश्चित वित्तीय अनुशासन और बेहतर अनुपालन से सहायता मिलेगी। भारत का सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना विस्तार निम्न आय वाले परिवारों, सूक्ष्म और लघु कारोबारों तथा अर्थव्यवस्था के त्वरित औपचारिकरण हेतु वित्तीय समावेशन में तेजी का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। ये दो कारक- बैलेंस शीट की मजबूती और डिजिटल प्रगति – मिलकर न केवल वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ही नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए भी वृद्धि की दिशा में बदलावकारी सिद्ध होंगे। प्रधानमंत्री गतिशक्ति, राष्ट्रीय संभार तंत्र नीति और पीएलआई योजनाओं जैसी क्रांतिकारी योजनाओं से निरंतर आर्थिक वृद्धि और बेहतर लचीलेपन के लिए मूल्य श्रृंखला में लागत में कमी लाते हुए ढांचागत और विनिर्माण आधार को मजबूती मिलेगी ।
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