चेन्नई मद्रास हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने सोमवार को अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) मामले की सुनवाई 20 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि 22 जून 2022 को आयोजित पार्टी जनरल काउंसिल की बैठकों के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाले ओ. पन्नीरसेल्वम, एच. मनोज पांडियन, जेसीडी प्रभाकर और आर वैथलिंगम द्वारा दायर अपीलों में कोई अंतरिम संरक्षण जारी नहीं किया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च को मद्रास हाईकोर्ट की एकल पीठ ने ओ. पन्नीरसेल्वम और उनके सहयोगियों द्वारा दायर अंतरिम आवेदनों को खारिज कर दिया था, जिसके कारण अन्नाद्रमुक ने एडप्पादी के पलानीस्वामी को पार्टी के महासचिव के रूप में चुना था।
एकल पीठ के आदेश के कुछ ही मिनटों के भीतर, एआईएडीएमके के निष्कासित नेता ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ का रुख किया।
ओपीएस के प्रति निष्ठा रखने वाले अन्नाद्रमुक नेताओं, एच मनोज पांडियन, आर वैथलिंगम और जेसीडी प्रभाकर ने भी मामले की तत्काल सुनवाई के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया।
मद्रास हाईकोर्ट की एक खंडपीठ जिसमें जस्टिस आर महादेवन और मोहम्मद शफीक शामिल हैं। उसने 31 मार्च को पक्षकारों को अपना जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था और कहा था कि अंतरिम राहत दी जानी चाहिए या नहीं, इसका फैसला 3 अप्रैल को किया जाएगा।
खंडपीठ ने पूछा कि जब यह मामला सोमवार को सुनवाई के लिए आया तो क्या सभी पक्ष अंतिम सुनवाई के लिए अपील करने और आदेश पारित करने के लिए सहमत थे।
ओ. पन्नीरसेल्वम का प्रतिनिधित्व करने वाले मद्रास हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील पीएस रमन ने अदालत को सूचित किया कि अन्नाद्रमुक नए सदस्यों को शामिल कर रही है और वादी के समर्थकों के नवीनीकरण आवेदन को भी खारिज किया जा सकता है और तब तक के लिए अंतरिम सुरक्षा की मांग की जा सकती है।
हालांकि, अदालत ने अंतरिम सुरक्षा के लिए याचिका की अनुमति नहीं दी और कहा कि पार्टी द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय इन अपीलों के अंतिम आदेशों से बाध्य होगा।
पीएस रमन ने कहा कि ओ. पन्नीरसेल्वम और अन्य का निष्कासन पार्टी के उपनियमों के खिलाफ था और अगर निष्कासन गलत था तो निष्कासन के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया भी गलत थी। वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि सुनवाई समाप्त होने तक याचिकाकर्ता को अंतरिम संरक्षण दिया जाए। पीएच. मनोज पांडियन, जेसीडी प्रभाकर और आर. वैतिलिंगम के अधिवक्ताओं ने भी अदालत के समक्ष इसी तरह का अनुरोध किया था।
एआईएडीएमके का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील विजय नारायणन ने कहा कि कोऑर्डिनेटर और संयुक्त कोऑर्डिनेटर के पदों को समाप्त कर दिया गया था और इसलिए इस समय वादी के तर्क पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) महासचिव का चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कराया गया था।
विजय नारायणन ने कहा कि एक उम्मीदवार को महासचिव का चुनाव लडऩे के लिए पार्टी के 10 जिला सचिवों का समर्थन प्राप्त करने की आवश्यकता है और कहा कि वादी, ओ. पन्नीरसेल्वम के पास पार्टी में 5 प्रतिशत भी समर्थन नहीं था। इसके बाद पीठ ने मामले की अंतिम सुनवाई 20 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी।
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