नई दिल्ली । पूंजी बाजार नियामक सेबी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डिस्क्लोजर आवश्यकताओं को लागू करने पर विचार कर रहा है।
आपको बता दें कि जिस तरह लिस्टेड कंपनियों के लिए डिस्क्लोजर जरूरी होता है उसी प्रकार अब अन लिस्टेड कंपनियों को भी अब डिस्क्लोजर जरूरी करने पर विचार किया जा रहा है जो फिलहाल लागू नहीं है।
पारदर्शिता की सुविधा देना का लक्ष्य
सेबी ने 2022-23 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि
सके अलावा, सेबी लेनदेन की ग्रुप-स्तरीय रिपोर्टिंग को बढ़ाकर ग्रुप के आसपास पारदर्शिता की सुविधा प्रदान करने की योजना बना रहा है। अपने एनुअल रिपोर्ट में सेबी ने बताया कि ग्रुप के अंदर क्रॉस-होल्डिंग और फिजिकल वित्तीय लेनदेन के विवरण का खुलासा जैसे कुछ ऐसे मामले हैं जिनकी जांच सेबी वार्षिक आधार पर खुलासा करने के लिए करेगा।
डेरिवेटिव सेगमेंट पर भी सेबी का एक्शन
अन लिस्टेड कंपनियों के अलावा सेबी डेरिवेटिव सेगमेंट में स्टॉक पेश करने के लिए पात्रता मानदंड की समीक्षा करने की योजना बना रहा है।
आपको बता दें कि डेरिवेटिव में स्टॉक पेश करने के लिए पात्रता मानदंड की आखिरी समीक्षा 2018 में हुई थी। तब से, बाजार पूंजीकरण और टर्नओवर जैसे नकदी बाजार के आकार और तरलता को दर्शाने वाले व्यापक बाजार पैरामीटर काफी बढ़ गए हैं।
सेबी क्यों उठा रहा है यह कदम?
इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में शेयरों और अनुबंधों के लिए अस्थिरता प्रबंधन को मजबूत करने और सूचना में होने वाली कठिनाईयों को कम करने के लिए, पूंजी बाजार नियामक इन शेयरों और उनके डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए मूल्य बैंड के मौजूदा ढांचे को मजबूत करने की प्रक्रिया में है।
डीलिस्टिंग पर भी सेबी का है ये प्लान
अन्य उपायों के अलावा, सेबी डीलिस्टिंग के मामले में मूल्य निर्धारण तंत्र की समीक्षा करने की योजना बना रहा है।
बाजार नियामक सेबी स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अपनाए गए अनिवार्य डीलिस्टिंग ढांचे की समीक्षा करने की भी योजना बना रहा है।
00