नईदिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि लैपटॉप, टेबलेट, पर्सनल कंप्यूटर और छोटे सर्वर का आयात करने वाली कंपनियों को 1 नवंबर से विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की वेबसाइट पर पंजीकरण करना चाहिए। बेवसाइट पर पंजीकरण कराने वाली कंपनियों को एक निश्चित अवधि के लिए इन उत्पादों का आयात करने से रोका नहीं जाएगा। मगर आयात पर पाबंदी कब लागू होगी, इस पर अब भी विचार ही चल रहा है।
मंत्रालय ने पहले इसके लिए 1 अप्रैल, 2024 की समयसीमा का सुझाव दिया था मगर उद्योग एक साल की मोहलत पर जोर दे रहा है। उद्योग को लगता है कि उस समय तक उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की पात्र कंपनियों में से कई देश में इस तरह के उत्पाद बनाना शुरू कर देंगी और संभव है कि तब तक भारत से इसका निर्यात भी शुरू हो जाए।
आयात पर प्रतिबंध लगने के बाद इन उत्पादों का आयात तीन पैमानों पर कसा जाएगा – पिछले साल आयात किए गए आईटी हार्डवेयर की कीमत, देश में उत्पादन की कीमत और निर्यात किए गए इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमत। इसका सीधा अर्थ यह है कि कंपनियों को उनके द्वारा किए गए निर्यात और देश में किए गए उत्पादन के एवज में क्रेडिट मिलेगा, जिसका इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के आयात में किया जा सकेगा।
सरकार इसका फॉर्मूला तैयार कर रही है। इसके मुताबिक अगर कंपनियां भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद असेंबल करने या निर्यात करने में विफल रही हैं तो अगले साल उनके आयात की मात्रा खुद-ब-खुद घट जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के साथ हितधारकों की दूसरे दौर की बैठक में कथित लाइसेंस राज की वापसी के जुमले पर कड़ी आपत्ति जताए जाने के बाद इस फॉर्मूले पर चर्चा की गई। अमेरिकी सरकार ने भी इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा किए बगैर आयात पर रोक लगाने का निर्णय किया गया है।
भारत सरकार ने यह भी कहा है कि आपूर्ति श्रृंखला में अचानक किसी तरह की बाधा आती है या इन उत्पादों की जरूरत अनुमान से ज्यादा रहती है तो आयात प्रबंधन व्यवस्था में नियमों की समीक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किए जाएंगे। सरकार ने कहा कि कंपनियां इन उत्पादों के आयात के लिए किसी एक देश पर निर्भर रहकर जोखिम उठाने के बजाय विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों से इनके आयात में विविधता लाने की संभावना तलाशे।
हितधारकों ने कहा कि अब यह तय करना होगा कि कंपनियों को पंजीकरण के लिए किस तरह की जानकारी देनी होगी। मंत्रालय ने कहा कि डीजीएफटी की वेबसाइट जल्द ही परीक्षण के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
इस बीच कई आईटी हार्डवेयर कंपनियों ने कहा कि वे घरेलू स्तर पर उत्पादन के विभिन्न चरणों में हो सकती हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर असेंबल करने की उनकी क्षमता भी अलग होगी और आयात प्रबंधन व्यवस्था के तहत इस पर भी विचार करना चाहिए। इन कंपनियों का तर्क है कि आईटी हार्डवेयर के लिए 2.0 पीएलआई के तहत वे योजना के लिए पहले साल के तौर पर वित्त वर्ष 2024 या वित्त वर्ष 2025 को चुन सकते हैं।
सरकार ने इन कंपनियों को आश्वस्त किया है कि किसी भी तरह की समस्या का निराकरण किया जाएगा।
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