जैवलिन थ्रो जैसे सधारण से खेल को अपनी मेहनत औल लग्न से असधारण बनाने वाले नीरज चोपड़ा, किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। एक अधिक वजन वाले 13 साल के बच्चे से लेकर आत्मविश्वास हासिल करने और ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बनने तक भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा का एक लंबा सफर रहा है।
भारत जैसे देश जहां, क्रिकेट और हॉकी के दिवाने हैं। वहां जैवलिन थ्रो जैसे सधारण से खेल को अपनी मेहनत औल लग्न से असधारण बनाने वाले नीरज चोपड़ा, किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। एक अधिक वजन वाले 13 साल के बच्चे से लेकर आत्मविश्वास हासिल करने और ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बनने तक भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा का एक लंबा सफर रहा है।
अपने 20 साल युवावस्था में टोक्यो ओलंपिक चैंपियन ने करियर में काफी ऊंचाई हासिल की है। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022 में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास भी रचा है।
24 दिसम्बर हरियाणा के कानपुर गाँव में जन्मे नीरज ने पहला अंतरराष्ट्रीय पदक 2018 में हासिल किया। उस दौरान सोने का पदक एशियाई खेलों में जीता। उन्होंने फिर 2021 में टोक्यो ओलंपिक्स में भी एक शानदार प्रदर्शन किया और देश को जैवलिन थ्रो में गोल्ड दिलाया।
नीरज चोपड़ा का उदाहरण देखते हुए भारतीय युवा एथलीटों को और उनके पूरे देश को भी आत्मनिर्भरता और समर्थन की दिशा में प्रेरित कर रहा है।