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राहुल गांधी की रिकॉर्ड जीत, तीन लाख 90 हजार वोटों से भाजपा प्रत्याशी को हराया

by Bhupendra Sahu
रायबरेली। यह जिला कांग्रेस का गढ़ है यह बात एक बार फिर साबित हो गई  है।राहुल गांधी यहां से रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाब रहे। उनकी जीत का अंतर तीन लाख 90 हजार से ऊपर का रहा।
रायबरेली की सीट एक बार फिर से कांग्रेसियों के लिए खुशी लेकर आई। कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी यहां बड़े अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को करीब तीन लाख 90 हजार वोटों से हराया।
रायबरेली लोकसभा सीट पर गठबंधन प्रत्याशी राहुल गांधी की जीत ने कांग्रेसियों को काफी लंबे असरे बाद झूमने का मौका दिया। इस बार की जीत बहुत खास रही है। गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के तौर पर राहुल गांधी चुनाव मैदान में उतरे थे और पूरे देश की निगाह रायबरेली परिणाम पर लगी थी। वहीं कांग्रेस का दुर्ग जीतने की मंशा सफल न होने से भाजपाइयों में बहुत मायूसी रही। कोई भी पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बचता रहा।
रायबरेली में कांग्रेसियों को 2019 लोकसभा चुनाव बाद खुश होते देखा गया। इससे पहले विधानसभा चुनाव 2022 में हार के साथ कांग्रेस की गिरते ग्राफ से कांग्रेसियों के चेहरे पर चहक गायब हो गई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव ने कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया। खासकर रायबरेली में कांग्रेसियों का उत्साह उसी समय से चरम पर था, जब राहुल गांधी ने नामांकन पत्र भरा था।
शुरू से ही सपा और कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता जीत के लिए आश्वस्त नजर आए। मंगलवार को ईवीएम खुली और जैसे-जैसे राहुल गांधी लीड लेते रहे, वैसे-वैसे भीषण गर्मी को दरकिनार कर कांग्रेसियों का उत्साह चरम पर पहुंचता रहा। सिविल लाइन स्थित कार्यालय पर जमा कांग्रेसियों के चेहरे पर जीत की खुशी दिखी। इस दौरान कांग्रेस ने बड़ा मंगल पर भंडारा का आयोजन कराया। जिसमें लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। वहीं भाजपा के अटल भवन स्थित कार्यालय पर कार्यकर्ता टीवी स्क्रीन पपर लोकसभा चुनावों को परिणाम को देखते नजर आए। पार्टी की हार से कार्यकर्ता बेहद मायूस दिखे। करीब 10 साल बाद भाजपा कार्यालय में उदासी दिखी।
ढूंढे नहीं मिले बसपाई
इस चुनाव में बसपा की सक्रियता नहीं दिखी। पार्टी प्रत्याशी ठाकुर प्रसाद यादव ने सरेनी को छोड़कर कहीं भी चुनाव प्रचार नहीं किया था। शहर के राणा नगर में पार्टी का चुनाव कार्यालय खोला गया था, जिसे 18 मई को ही बंद कर दिया गया। मतगणना के दौरान भी बसपाई नदारद रहे।
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