(कृष्ण सिंह बाबा)
एमसीबी। जि़ला एमसीबी कलेक्टर कार्यालय परिसर में वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन वन विभाग द्वारा किया गया। आयोजन में कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मियावाकी पद्धति के माध्यम से परिसर में पौधारोपण कर वन महोत्सव का शुभारंभ फीता काटकर किया।उक्त परिसर में 2,500 पौधे 1&1 मीटर के अंतराल में लगाये गये है।इसके अलावा शहर के 4 और जगह पे मियावाकी पद्धति से रोपण किया गया है।अगले वर्ष ऐसी ख़ाली पड़ी जमीनो पे 25 और जगह मिनी फ ारेस्ट बनाने की योजना है।ये अर्बन हीट आइलैंड और हीट वेव से निबटने में साबित हो सकता है गेमचेंजर।
मियावाकी वृक्षारोपण क्या है ?
कम समय में सघन शहरी वन तैयार करने की जापानी तकनीक है। स्थानीय जंगली पौधो को 1&1 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। कम दूरी होने के चलते पौधों में कम्पटीशन बढ़ जाता है और पौधे 10 गुना तेज़ी से उगते है। मयावकी वृक्षारोपण के क्या लाभ है ? परंपरागत वृक्षारोपण से 30 गुना अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड सोखता है। 30 गुना अधिक वायु और ध्वनि प्रदूषण को रोकता है। 2-3 साल में ही मिनी फ ारेस्ट बन जाता है।अर्बन हीट आइलैंड से मुक्ति।
वातावरण को ज़्यादा ठंडा करता है। आज बड़े-बड़े मेट्रो सिटी में इस पद्धति के माध्यस से वानिकी किया जा रहा है। एक-एक मीटर के दूरी पर सघन वृक्षारोपण किया जा रहा है। जिससे घना वन मिलता है। जिससे हमें शुद्ध हवा मिलता है। 30 गुना ज़्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। इतना ही वायु और ध्वनि प्रदूषण भी कम करता है। मनेंद्रगढ़ शहर में भी इस वर्ष लंबा हीट वेव चला।इसी को ध्यान में रखते हुए इस विशेष रोपण को इस बार वनमहोत्सव में शामिल किया गया।
मियावाकी पद्धति से जगलों का होगा विस्तार : मनीष कश्यप
वनमण्डलाधिकारी मनीष कश्यप ने मियावाकी पद्धति के बारे में बताते हुये कहा कि इस विधि का प्रयोग कर के घरों के आस-पास खाली पड़े स्थान (बैकयार्ड) को छोटे बगानों या जंगलों में बदला जा सकता है। मियावाकी पद्यति के प्रणेता जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी हैं। इसके माध्यम से जिले के छोटे-छोटे स्थानों पर मिनी फ ॉरेस्ट के रूप में विकसित करना है। जिससे जिले को हिट वेव से बचाया जा सके। इस पद्धति से प्लांटेशन परंपरागत वृक्षारोपण से 10 गुना ज़्यादा तेज़ी से बढ़ते है। मनेंद्रगढ़ वनमण्डल में इस वन महोत्सव में 5 मियावाकी पद्धति से रोपण किया गया।भविष्य में शहर के बीच ऐसे सभी ख़ाली पड़े जगहों पे मियावाकी लगाया जाएगा। पूर्व में भी डीएफ़ओ मनीष कश्यप के द्वारा ही कोरिया वनमण्डल से सीड बॉल पद्धति से रोपण की शुरुआत हुई थी जो छत्तीसगढ़ में काफ ़ी प्रचलित हुआ था।