Home » आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की क्षमता : गूगल

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की क्षमता : गूगल

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 2028 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20 प्रतिशत है।
बुधवार को गूगल की एक नई रिपोर्ट में कहा गया कि एआई देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और एक ग्लोबल लीडर के रूप में उभरने की क्षमता रखता है।
गूगल द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक भारत में एआई को अपनाने से कम से कम 33.8 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
एन एआई ऑपोरचुनिटी एजेंडा फॉर इंडिया शीर्षक वाले नए पेपर के अनुसार, देश अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, आउटस्टैंडिंग तकनीकी प्रतिभा, युवा जनसांख्यिकी और जीवंत स्टार्ट-अप इको सिस्टम के साथ एआई लाभों को प्राप्त करने के लिए तैयार है।
रिपोर्ट में कहा गया है, एआई पहले से ही देश की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान कर रहा है, जिसमें कृषि पद्धतियों में क्रांतिकारी बदलाव से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और परिणामों में सुधार शामिल है।
उदाहरण के लिए, एग्रोस्टार जैसे एआई-संचालित प्लेटफ़ॉर्म किसानों को सशक्त बना रहे हैं, फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा में, एआई निदान को बेहतर बनाने और खास वंचित समुदायों के लिए पहुंच का विस्तार कर रहा है।
टेक्नोलॉजी सेक्टर की इस दिग्गज कंपनी ने स्वास्थ्य सूचना कार्यक्रम से बाहर होने के जोखिम वाली महिलाओं की पहचान करने के लिए एआई का उपयोग करने के लिए एआरएमएमएएन के साथ साझेदारी की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारत के लिए एआई अवसरÓ को बढ़ाने के लिए, सरकार, उद्योग और नागरिक समाज के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को तीन प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी चाहिए: बुनियादी ढांचे और नवाचार में निवेश, मानव पूंजी और एआई-सशक्त कार्यबल का निर्माण, और व्यापक रूप से अपनाने और सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ावा देना।
भारत में गूगल का लक्ष्य 10 मिलियन लोगों को एआई डिजिटल साक्षरता से सशक्त बनाना है, जिसमें छात्र, नौकरी चाहने वाले, शिक्षक, स्टार्टअप और डेवलपर्स और सिविल अधिकारी शामिल हैं।
00

Share with your Friends

Related Articles

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More