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प्रकृति की गोद में स्थित मनोहारी झोझा जलप्रपात

by Bhupendra Sahu

रायपुर छत्तीसगढ़ राज्य में झोझा जलप्रपात चारों ओर से पर्वतों से घिरा एक मनोहारी जलप्रपात है। लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरता यह झरना, सर्दियों के सुनहरे मौसम में पर्यटकों के लिए बेहद आकर्षण बन जाता है। यहां का शांत वातावरण, हरे-भरे जंगल, और झरने की गर्जना हर आने वाले का मन मोह लेती है। जनवरी महीना झोझा जलप्रपात घूमने का सबसे अनुकूल समय है। स्थानीय लोग और दूर-दराज के पर्यटक यहां पिकनिक मनाने, झरने में स्नान करने और ट्रेकिंग का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं। एक जनवरी को यहां लगने वाला मेला इस स्थान को और भी खास बना देता है, जहां दूर-दूर से लोग आकर झरने के नज़ारों का लुत्फ़ उठाते हैं।

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले में स्थित यह जलप्रपात गौरेला से लगभग 40 किमी और पेंड्रा से 32 किमी की दूरी पर घने जंगलों के बीच स्थित है। बस्ती बगरा से चार किमी दूर कच्चे रास्तों और एक किलोमीटर पैदल ट्रेकिंग के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। झरने के पास दुर्लभ पक्षियों और तितलियों का झुंड, साथ ही जंगली चिरायता, भुई आंवला, और मूसली जैसी औषधीय वनस्पतियां भी देखने को मिलती है।

झोझा जलप्रपात ट्रेकिंग और कैंपिंग के शौकीनों के लिए भी आदर्श स्थान है। यहां बने होम स्टे में रुककर स्थानीय जनजातीय व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकता है। कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मंडावी की पहल पर डीएमएफ मद से झरने तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनाई जा रही हैं। स्थानीय ग्रामीणों की समिति झरने और आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा बनाए रखने में बढ़-चढ़कर सहयोग देती हैं।

बीते पांच वर्षों में झोझा जलप्रपात पर पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। अब यह जगह न केवल स्थानीय बल्कि देशभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है। बम्हनी नदी पर बने इस जलप्रपात का पानी हसदेव नदी में जाकर मिलता है। झोझा जलप्रपात न केवल प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय समुदायों के विकास का भी उदाहरण बनता जा रहा है।

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