नई दिल्ली । बर्ड फ्लू के अब देश के जंगलों में फैलने से जानवरों की विलुप्त हो रही प्रजातियों पर खतरा मंडराने लगा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बताया है कि बर्ड फ्लू हिमाचल प्रदेश, गुजरात,केरल के जंगलों और संरक्षित इलाकों में भी पहुंच चुका है और यहां कई प्रवासी बत्तख संक्रमित पाए गए हैं, जबकि बाकी राज्यों में बर्ड फ्लू ने पोल्ट्री को प्रभावित किया है। मंत्रालय के अडिशनल डायरेक्टर जनरल सौमित्र दासगुप्ता ने बताया, ‘एवियन इन्फ्लूएंजा का पहला मामला हिमाचल प्रदेश के पोंग डैम में मिला। इसके बाद ऐसी रिपोर्ट्स आई की यह केरल और गुजरात के वनों तक पहुंच गया है जहां बर्ड फ्लू से बत्तखों (प्रवासी) की प्रजातियां प्रभावित हुई हैं।’
मंत्रालय वनों में बर्ड फ्लू के प्रसार को रोकने के लिए मत्स्य विभाग जैसे अन्य एजेंसियों की मदद ले रहा है। दासगुप्ता ने कहा, ‘हमें यह देखना होगा कि पक्षियों की कौन सी अन्य प्रजातियां बर्ड फ्लू से संक्रमित हुई हैं।’ दासगुप्ता के मुताबिक, सभी चीफ वाइल्डलाइफ वॉर्डनों को 3 जनवरी को ही अडवाइजरी जारी कर दी गई थी ताकि वे स्थिति पर कड़ी नजर रख सकें और किसी भी पक्षी की मौत के बारे में या कुछ भी ऐसा जिससे बर्ड फ्लू का संकेत मिले, तुरंत जानकारी दें। मंत्रालय की अडवाइजरी के मुताबिक, बर्ड फ्लू से प्रभावित पक्षियों में दौरे, डायरिया, लकवा जैसी समस्याएं देखी जा रही हैं। अडवाइजरी में सभी चीफ वाइल्डलाइफ वॉर्डन्स से माइग्रेटरी पक्षियों की निगरानी करने के साथ ही आपात स्थिति से निपटने के लिए ऐक्शन प्लान बनाने को कहा गया है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के डायरेक्ट बिवश पांडव ने बताया, ‘एवियन इन्फ्लूएंजा सामान्य स्थितियों में मानव शरीर को संक्रमित नहीं करता लेकिन यह घरेलू पक्षियों में आसानी से फैल सकता है और इसकी वजह से हमारी पूरी पोल्ट्री बर्बाद हो सकती है यहां तक कि सुअर भी इससे संक्रमित हो सकते हैं।’ उन्होंने कहा विलुप्त हो रहे जानवरों में वायरस जाने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है।