नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को डीआईसीजीसी अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य किसी संकट के कारण बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लागू होने की स्थिति में उसके जमाकर्ताओं को समय पर सहायता सुनिश्चित करने के लिए 90 दिन के भीतर उन्हें पांच लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि प्राप्त करने का अवसर सुनिश्चित करना है। पिछले साल सरकार ने पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक जैसे संकटग्रस्त बैंकों के जमाकर्ताओं को सहायता देने के लिए जमा राशि पर बीमा आवरण को पांच गुना बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया था। पीएमसी बैंक के डूबने के बाद यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक भी संकट आए, जिनका पुनर्गठन नियामक और सरकार द्वारा किया गया। जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम, 1961 में संशोधन की घोषणा वित्त मंत्री ने आम बजट में की थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंत्रिमंडल के इस निर्णय कीजानकारी देते हुए कहा कि इस विधेयक को मौजूदा मानसून सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है। विधेयक के कानून बनने के बाद इससे उन हजारों जमाकर्ताओं को तत्काल राहत मिलेगी, जिन्होंने अपना धन पीएमसी बैंक और दूसरे छोटे सहकारी बैंकों में जमा किया था। मौजूदा प्रावधानों के अनुसार पांच लाख रुपये तक का जमा बीमा तब लागू होता है, जब किसी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है और परिसमापन प्रक्रिया शुरू हो जाती है। डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो बैंक जमा पर बीमा आवरण देती है।