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गौठानों की बहुआयामी गतिविधियों से स्वावलंबी हो रहा है छत्तीसगढ़ … चारागाह और सामुदायिक बाड़ी विकास से मजबूत हो रहे गांव

by Bhupendra Sahu

रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की फ्लैगशिप एवं महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना का वास्तविक क्रियान्वयन वृहद रूप में अब गांवों के गौठानों में दिखाई दे रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन ने न सिर्फ मवेशियों का समुचित ढंग से संरक्षण व संवर्द्धन किया है अपितु गौठानों में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के संचालन ने रोजगार प्रदान करने की दिशा में पुख्ता इंतजाम किये हैं। ऐसा ही एक गौठान धमतरी के कुरूद विकासखण्ड के ग्राम पचपेड़ी में विकसित हुआ है जहां की महिलाएं समूह से जुड़कर आजीविकामूलक कार्यों को बेहतर ढंग से अंजाम दे रही हैं। इन महिलाओं द्वारा सामुदायिेक बाड़ी में विभिन्न प्रकार की जैविक सब्जियां का उत्पादन कर पिछले लगभग चार महीनों में 60 हजार रूपये से भी अधिक का लाभ अर्जित किया जा चुका है।

धमतरी जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर ग्राम पचपेड़ी में नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी परियोजना के तहत आठ एकड़ क्षेत्र की परती भूमि में 5.60 लाख रूपए की लागत से चारागाह का विकास किया गया, जिस पर सामुदायिक बाड़ी विकसित करने का जिम्मा ग्राम के ओम कर्मा महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं को सौंपा गया। इस चारागाह का निर्माण जून 2021 में मनरेगा योजना के तहत् किया गया है। ओम कर्मा स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी साहू ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) के तहत चारागाह में मल्टी युटिलिटी कार्य के तहत सामुदायिक बाड़ी में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की फसलें ली जा रही हैं, जिनमें दो एकड़ रकबे में बैंगन, 60 डिसमिल क्षेत्र में करेला, 60 डिसमिल में बरबट्टी, 60 डिसमिल में मूली, 40 डिसमिल गंवारफल्ली, 40 डिसमिल में गलका, 40 डिसमिल में मूंगफली, 20 डिसमिल में जिमीकंद तथा 20 डिसमिल में हल्दी शामिल है।

इस क्षेत्र में कृषि विभाग की ‘आत्मा‘ योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्हें अंतरवर्तीय फसलों के प्रोत्साहन के लिए 10 हजार रूपए की राशि प्रदान की गई, जिसके तहत एक क्विंटल जिमीकंद, एक क्विंटल हल्दी, 15 कि.ग्रा. मूंगफली, चार कि.ग्रा. उड़द, चार कि.ग्रा. मूंग, 4 कि.ग्रा. रागी और 4 कि.ग्रा. अरहर सहित अमारी फूल की पैदावार ली गई है। समूह की अध्यक्ष ने बताया कि मात्र चार माह में 60 हजार रूपए शुद्ध लाभ उनके समूह को मिला। इसके अलावा बहुआयामी गतिविधियों को आगे बढ़ाते हुए जिला प्रशासन द्वारा मुर्गीपालन और बकरीपालन के लिए भी समूह की महिलाओं को प्रोत्साहित व प्रेरित किया जा रहा है।

श्रीमती साहू ने बताया कि समूह के गठन से पहले ज्यादातर महिलाएं कृषि-मजदूरी का कार्य करती थीं, जिससे दिनभर की हाड़तोड़ मेहनत के बाद मुश्किल से 100-120 प्रतिदिन कमा पाती थीं। अब 12 महिलाएं समूह से जुड़ने के बाद अपेक्षाकृत कम मेहनत में कृषि व उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन व सहयोग से सब्जियों व अन्य फसलों की बेहतर पैदावार ले रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यहां की जैविक विधि से उत्पादित सब्जियों की मांग काफी बढ़ गई है जिसकी वजह से आने वाले समय में और भी अधिक लाभ मिलने की सम्भावना है।

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