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केन्द्र सरकार द्वारा किए जा रहे निजीकरण पर प्रतिक्रिया : मुनाफा कमाने वाली सार्वजनिक उपक्रम को बेच रही है मोदी सरकार – मेश्राम

by Bhupendra Sahu

भिलाई। निजीकरण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अनुसूचित जाति जनजाति संगठनो का अखिल भारतीय परिसंघ के प्रदेश संरक्षक, दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ अजाक्स के कार्य. प्रान्ताध्यक्ष अनिल मेश्राम ने कहा कि केन्द्र मे सत्तारूढ़ भाजपानीत सरकार द्वारा भारत की बहुमूल्य सरकारी संपत्तियो, कारखानो, शैक्षणिक संस्थानो व शासकीय व सार्वजनिक उपक्रम के कार्यालयो को देश व विदेश के उद्योग पतियो, पूंजीपतियो को बेचकर देश मे निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, भारतीय जीवन बीमा निगम, भारतीय रेल्वे, मान्यताप्राप्त बैंक, एयरलाइंस सहित देश के आम व्यक्ति के जीवन को प्रतिदिन प्रभावित करने वाले अनेक संस्थानो को निजी हाथो मे बेचकर आम इंसान को आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान करने के पूरे मजबूत उपाय केन्द्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।

जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 31, 266 और 335 की अनदेखी स्पष्ट नजर आ रही है सरकार के इस अदूरदर्शी कदम से देश के आम उपभोक्ता को यात्रा से लेकर बैंकिंग व दैनिक उपयोग की चीजे क्रय करने मे आर्थिक मार का सामना करना होगा जनहित मे बनाये गये कारखाने का उन्नयन व संधारण करने की बजाय उन्हे बंद बताकर बेचा जाना बेरोजगारी को बढ़ावा देना है शासकीय कार्यालयो मे ठेका पद्धति अपनाया जाना देश के अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग के अधिकारी कर्मचारियो के हितो पर कुठाराघात है एशिया के सबसे बड़े प्लांट भिलाई इस्पात संयंत्र की अनेक इकाईया बिक चुकी है

धीरे-धीरे प्लांट पूर्ण निजीकरण की ओर बढ़ रहा है, यह स्थिति कर्मचारियो को बंधुआ मजदूर की हालत मे ले आयेगी और पूंजीपतियो की मनमर्जी और तानाशाही से साम्यवाद समाजवाद की जगह फिर से पूंजीवाद स्थापित होगा जो देश के मजदूरो और किसानो के हित मे कदापि नही होगा मेश्राम ने कहा कि केन्द्र सरकार को निजीकरण की बजाय देश के बड़े उद्योगो का उन्नयन संधारण व संरक्षण कर सभी सार्वजनिक उपक्रमो व शासकीय कार्यालयो शैक्षणिक संस्थानो मे प्रशासनिक कसावट लाकर देश की संपत्ति को सुरक्षित रखने का संवैधानिक प्रयास किया जाना चाहिए परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. उदित राज के नेतृत्व मे पिछ्ले 2004 से दिल्ली मे देशव्यापी आंदोलन चलाकर निजीकरण के खिलाफ सड़क की लड़ाई लड़ी जा रही है, उनका मानना है कि निजीकरण से देश का भला नही होने वाला है, भारत की 135 करोड़ की जनता भारतीय संपत्ति की सुरक्षा चाहती है ना कि अपनी दुर्दशा, सरकार को स्वार्थपरक नीतियो का त्याग कर जनहित व देशहित मे काम कर आर्थिक रूप से मजबूत भारत का निर्माण करना चाहिए।

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