गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पहली बार प्रौढ़ों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए प्रौढ़ शिक्षा शामिल किया गया है। जिसको पूर्ण करने न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम के तहत संचालित किया जाएगा जिसके लिए प्रवेशिका निर्माण की जिम्मेदारी राज्य को दिया गया है। जिस पर राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण छत्तीसगढ़ ने तत्परता दिखाते हुए कार्य शुरू कर दिया है।

राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सहायक संचालक प्रशांत कुमार पाण्डेय ने कहा हमने साक्षरता की प्रवेशिका पहले भी बनाई है। अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रौढ़ असाक्षरों के लिए प्रवेशिका तैयार करना है। इसे शिक्षाशास्त्री की टीम तैयार कर रही हैं। प्रवेशिका पांचों संभागों की आवश्यकता का आंकलन और समझ के आधार पर तैयार की जा रही है। प्रवेशिका एन.सी.एफ. के 13 थीम्स के आधार पर तैयार हो रही है। इस कार्यक्रम को दिसम्बर तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।

एससीएल प्रकोष्ठ प्रभारी प्रीति सिंह ने कहा हमने पिछले कार्यशाला में चैप्टर बना लिए हैं। पाठ्यक्रम असाक्षरों की आवश्यकता के अनुरूप तैयार करने की रणनीति बनायी गई है। जिला परियोजना अधिकारी कोरिया श्री यू.के. जायसवाल ने कहा हमें हमारी सोच और प्रौढ़ असाक्षरों के सोच में अंतर पाया जाएगा। हमें आगामी दिनों में बदलती हुई परिस्थिति की अनुरूप उनकी आवश्यकता के अनुरूप प्रवेशिका तैयार करने चाहिए। इसके बाद महानदी, अरपा, इंद्रावती, शिवनाथ के सभी शिक्षाविद्ों को पहले से बनाये गए प्रवेशिका को आवश्यकतानुसार सुधार करने दिया गया। तत्पश्चात सभी चारों समूहों के दुर्गा सिन्हा, सीमांचल त्रिपाठी, पुष्पा सिंह एवं अमित अवस्थी ने ग्रुप कार्य प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम में जिला कोरिया से स्त्रोत व्यक्ति उमेश कुमार जायसवाल, रायपुर से सुधा वर्मा, ज्योति चक्रवर्ती, रविन्द्र यादव, धारा यादव, सरगुजा से पुष्पा सिंह, सूरजपुर से सीमांचल त्रिपाठी, कृष्ण कुमार ध्रुव, जशपुर से उषा किरण तिर्की, महासमुंद से दुर्गा सिन्हा, दुर्ग से सुमन श्रीवास्तव, मोहित कुमार शर्मा, राजनांदगांव से बबिता गिरी, बस्तर से अमित अवस्थी, दंतेवाड़ा से मुकेश रैकवार, रायपुर से कामिनी बावनकर के साथ राज्य स्तरीय प्रवेशिका निर्माण कार्यशाला के समन्वयक निधि अग्रवाल, नेहा शुक्ला, यूनिसेफ से विकास भदौरिया, कविता लिखार, कृष्णा गौर, महेश वर्मा, दीप ध्रुव एवं राज्य केे शिक्षाविद शामिल थे।