रायपुर । आयुक्त सह-संचालक आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान श्रीमती शम्मी आबिदी ने कहा कि वन अधिकार प्राप्त करने से कोई भी पात्र हितग्राही वंचित न रहे। व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकारों की मान्यता हेतु अपनाई जा रही प्रकिया का पूर्ण पारदर्शिता एवं सतर्कता के साथ पालन किया जाए। श्रीमती आबिदी आज वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में जिलों के मास्टर ट्रेनर्स के एक दिवसीय राज्य स्तरीय पुनश्चर्या (रिफ्रेशर) प्रशिक्षण का शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रही थीं।
एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के सभाकक्ष में किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्रीमती आबिदी ने कहा कि मास्टर ट्रेनर्स इस प्रशिक्षण सत्र का पूरा लाभ लें, ताकि जिलों में मास्टर ट्रेनर्स द्वारा मैदानी स्तर के अमले तथा वन अधिकार से संबंधित प्राधिकारियों को प्रभावी रूप से प्रशिक्षण दिया जा सके। ताकि जिलों में विशेषकर ग्राम सभा स्तर पर वन अधिकारों के बारे में पर्याप्त जागरूकता हो सके तथा अधिनियम के क्रियान्वयन करने में आ रही व्यावहारिक कठिनाईयों का नियमानुसार समाधान हो सके।
उन्होंने एसडीएलसी द्वारा ग्राम सभाओं को आवश्यक जानकारी, अभिलेख भी उपलब्ध कराने के संबंध में मास्टर ट्रेनर्स को जिलों में वन अधिकार प्राधिकारियों को प्रशिक्षण दिए जाने के निर्देश दिए। कार्यशाला को वन विभाग से अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरूण पांडे, अपर संचालक, श्री संजय गौड़, श्री प्रखर जैन ने भी संबोधित किया। प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए विभाग में कार्यरत यूएनडीपी के प्रशिक्षक श्री मनोहर ने ग्राम सभा की प्रकृति एवं भूमिका, वन अधिकार अधिनियम-2006 के संबंध मंे जागरूकता, वन अधिकार समिति की भूमिका एवं व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों के संबंध में मुद्दे एवं चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों पर कंडिकावार विस्तार से चर्चा कर मास्टर ट्रेनर्स की शंकाओं का समाधान किया।