वियना। सऊदी अरब, रूस और अन्य शीर्ष तेल उत्पादक देशों ने कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन में एक बड़ी कटौती पर सहमति व्यक्त की। संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस फैसले को मॉस्को को रियायत देने के लिए उठाया गया एक कदम बताते हुए इसकी आलोचना की है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंचाएगा। सऊदी अरब और उसके 10 सहयोगियों के नेतृत्व में 13 देशों के ओपेक कार्टेल ने वियना में एक बैठक में नवंबर से कच्चे तेल के उत्पादन में प्रति दिन 20 लाख बैरल की कटौती करने पर सहमति व्यक्त की।
ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में यह कोविड महामारी के बाद की सबसे बड़ी कटौती है, जिससे आशंका बढ़ रही है कि यह फैसला तेल की कीमतों को ऐसे समय में बढ़ा देगा, जब ज्यादातर देश पहले से ही ऊर्जा-ईंधन जनित महंगाई का पहले से ही सामना कर रहे हैं। मार्च 2020 के बाद ओपेक+ की पहली आमने-सामने की बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस कदम का बचाव करते हुए सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री, प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने कहा कि कार्टेल की प्राथमिकता ‘ऑयल मार्केट में स्थायित्व बनाए रखनाÓ है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस फैसले की आलोचना की है, जिन्होंने जुलाई में दबाव में सऊदी अरब की विवादास्पद यात्रा की थी, क्योंकि अमेरिकियों को ईंधन की बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ा था।
बता दें कि बीते 3 महीनों में कच्चे तेल का मूल्य 120 डालर प्रति बैरल से घटकर 90 डालर प्रति बैरल पर आ गया था। ओपेक प्लस ने पिछले महीने उत्पादन में सांकेतिक कटौती की थी। हालांकि, महामारी के दौरान उत्पादन में बड़ी कटौती की गई थी, लेकिन पिछले कुछ माह से निर्यातक देश उत्पादन में बड़ी कटौती से बच रहे थे। उत्पादन में कटौती के ताजा फैसले के बाद कच्चे तेल का मूल्य 3 सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गया।
उधर, रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने कहा है कि यदि पश्चिमी देश मूल्य संबंधी सीमा तय करते हैं, तो इसके प्रतिकूल असर से निपटने के लिए कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती की जा सकती है। रूस ओपेक प्लस संगठन का सदस्य भी है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरीन जीन-पियरे ने कहा है कि तेल उत्पादन में कटौती के फैसले से स्पष्ट होता है कि ओपेक प्लस संगठन रूस के साथ गठजोड़ बढ़ा रहा हैं। यह एक गलत और गुमराह करने वाला फैसला है।
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