नयी दिल्ली 14 जनवरी,। कोयला मंत्रालय ने बताया कि सरकारी क्षेत्र की कोयला तथा लिग्नाइट कंपनियों की खानों से छोड़े गए पानी के साथ-साथ परित्यक्त खदानों में उपलब्ध पानी से उन क्षेत्रों के करीब 900 गांवों के 18 लाख लोगों को लाभ मिल रहा है।
मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि उसके निर्देशानुसार, कोयला/लिग्नाइट पीएसयू खानों के पानी के संरक्षण और कुशल उपयोग के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं। पीएसयू अपने क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई जैसे सामुदायिक उपयोग के लिए खानों से पानी की आपूर्ति कर रहे हैं।
बयान के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान ऐसी खानों के लगभग 4000 लाख किलो लीटर (एलकेएल) पानी की आपूर्ति करने की योजना बनाई थी, जिसमें से दिसंबर 2022 तक 2788 एलकेएल की आपूर्ति की जा चुकी है। इसमें से 881 एलकेएल पानी का उपयोग पेयजल सहित घरेलू उपयोग के लिए किया गया है।
बयान में कहा गया है कि खानों के पानी के लाभार्थी मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोग हैं।
बयान में यह भी कहा गया है कि 2022-23 में सरकारी क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने दिसंबर 2022 तक अपने हरित आवरण को 1600 हेक्टेयर तक विस्तारित करते हुए अपने वार्षिक वृक्षारोपण लक्ष्य 1510 हेक्टेयर को पार कर लिया है। सीआईएल ने चालू वित्त वर्ष में दिसंबर, 2022 तक 31 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं।
मंत्रालय का कहना है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान 4392 हेक्टेयर के खनन पट्टा क्षेत्र में हुए हरित पहल से 2.2 लाख टन/वर्ष की कार्बन सिंक क्षमता पैदा हुई है। कोयला/लिग्नाइट पीएसयू ने चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2022 तक लगभग 2230 हेक्टेयर भूमि में वृक्षारोपण किया है और लगभग 360 हेक्टेयर में घास लगाई गई है।
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