रायपुर । भाजपा का बड़ा आदिवासी चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद नंद कुमार साय ने कांग्रेस प्रवेश कर लिया है। राजधानी रायपुर स्थित राजीव भवन में उन्होंने कांग्रेस प्रवेश किया। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, वन मंत्री मो अकबर, मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, मंत्री अनिला भेंड़िया, विधायक सत्यनारायण शर्मा सहित कई नेता मौजूद रहे।
बता दें रविवार को भाजपा के दिग्गज नेता व आदिवासी चेहरा नंदकुमार साय ने अचानक भाजपा से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया था। उन्होंने इस्तीफा देते हुए भाजपा पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। इनके इस्तीफा देने के बाद से ही यह कवायद तेज हो गई कि वे कांग्रेस प्रवेश करेंगे। रविवार को इस्तीफा देने के बाद सोमवार को उन्होंने राजीव भवन पहुंचकर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है। कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में नंदकुमार साय को बड़ा पद दे सकती है।
बीजेपी शासनकाल में ब्यूरोक्रेट्स हावी
इस्तीफा देते हुए नंदकुमार साय ने वीडियो जारी कर कहा है कि एक नेता ने मुझसे कहा कि ‘मुख्यमंत्री तो आपको ही बनाना था पर आप चुनाव नहीं जीत पाए। परिणाम ये हुआ कि किसी अन्य को बना दिया गया। लाठी, डंडा, मेहनत परिश्रम हमने किया। हमको किसी प्रकार का कोई भी दायित्व नहीं दिया गया। मेरे बड़े भाई दिलीप सिंह जुदेव को नीचा दिखाया गया। बीजेपी शासनकाल में ब्यूरोक्रेट्स हावी हो गए थे। कार्यकर्ता किनारे हो गए थे। जिसका मैं विरोध करता था। मैं कहता था कि यहां के कार्यकर्ताओं की सुनी जानी चाहिए। उनके हिसाब से काम होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं इस बात को कहूं नहीं, इसलिए मुझे छत्तीसगढ़ से बाहर रखा जाता था। ताकि मैं अपनी बातों को कह ना पाऊं। देख ना पाऊं और वो अपनी मनमानी करते रहे। मेरे खिलाफ ये बाते कही गई कि ये आदिवासियों की मीटिंग करते हैं। आदिवासी मुख्यमंत्री की बात करते हैं और लोगों को भड़काते रहते हैं। पत्रकारों के पूछने पर मैं कहता था कि आदिवासी राज्य है आदिवासी सीएम हो तो बहुत अच्छी बात होगी, लेकिन ये निर्णय करने का काम बीजेपी के केंद्रीय संगठन का है। अभी मेरे कार्यकर्ताओं को भयभीत किया गया है। मेरे फोटो को दूसरे के साथ लगाने से रोका जा रहा है। मैं इस पार्टी से बहुत ही दुखी और व्यथित हूं। आहत हूं। मैं पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं।
ऐसा है नंदकुमार साय का राजनीतिक सफर
नंदकुमार साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। वह 1980 में भाजपा की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए और 1985 में तपकरा से भाजपा विधायक चुने गए। इसके बाद 1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख व 2003-05 तक छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष रहे। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने। साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने।