किसानों पर आधारित कका जिन्दा है फि ल्म राजनीति की हुई शिकार,निर्माताओं को हुआ लाखों का नुकसान-मनोज खरे
धनतेरस के दिन से लोगों को फ्री में देखने मिलेगा यूटयूब में-पवन गांधी
किसान पर बनी इस फिल्म का विरोध करने वाले किसान विरोधी मानसिकता
वाले-हेमलाल चतुर्वेदी
भिलाई। छत्तीसगढी फिल्म का बात के चिन्ता है, कका जिन्दा है को भाजपा
द्वारा विरोध करके टॉकीज से रूकवाये गये प्रदर्शन के विरोध में
आज फिल्म कका जिन्दा है कि निर्माता मनोज खरे, हेमलाल चतुर्वेदी व पवन
गांधी ने पत्रकारवार्ता लेकर संयुक्त रूप से बताया कि गत 13 अक्टूबर
को हमारी छत्तीसगढी फिल्म का बात के चिंता है कका जिन्दा है, रिलीज
हुई और 14 अक्टूबर को ही भाजपा अध्यक्ष व भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा
भिलाई के व्यंकटेश्वर टॉकीज पहुंच कर इसे बंद करवा दिया गया।
चुनाव आयोग से शिकायत की गई। टॉकीज के मालिक को फिल्म नही
चलाने व उसे उतारने के लिए धमकाया गया। दुर्ग जिले के दो टॉकीजों
सहित छग के कई टॉकीजों में ये फिल्म लगी हुई थी इसका प्रमोशन बहुत
हुआ था जिसके कारण दर्शकों का अपार प्यार मिल रहा था और
अधिकांशतर टॉकीजों में हाउसफुल ये फिल्म जा रही थी। फिल्म के गाने
व फिल्म के काफी अच्छे है, किसानों की समस्याओं को काफी बेहतर ढंग
से इसमें दर्शाया गया है, लेकिन हमारी ये फिल्म राजनीति का शिकार
हो गई। भाजपा के नेताओं ने व्यंकटेश्वर टॉकीज मे ंजाकर कहा कि
इस फिल्म का प्रदर्शन नही रोका गया तो पर्दे को जला देंगे कुर्सिया तोड
देंगे। जिससे डरकर पहले व्यंकटेश्वर टॉकीज व उसके बाद सभी
टॉकीजों ने फिल्म को चलाना बंद कर दिया। चूंकि छग में चुनाव हो
रहे हैं, ये पूरा मामला चुनाव आयोग के एआरओ विभाग के पास उसी दिन
से आज भी लंबित है, हमारे अधिववक्ताओं ने कलेक्टर दुर्ग व चुनाव
आयोग के अधिकारियों से फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति मांगी है लेकिन
चुनाव आयोग इस पर निर्णय नही ले रही है, इससे हम आर्थिक और मानसिक
मार का दंश झेल रहे है, ये पूरी फिल्म किसानों पर आधारित है।
भाजपा द्वारा इस फिल्म प्रदर्शन पर रोक लगा दिये जाने व आम दर्शकों के
भारी मांग पर अब इसे आगामी 10 नवंबर धनतेरस के दिन वाईआर
फिल् ससीजी यू टयूब चैनल में हम कका जिन्दा है को लांच करने जा रहे
हैं, जिसे किसान सहित सभी छत्तीसगढवासी अब फ्री में देंखेंगे। पहले ये
फिल्म 15 सितंबर को छग के सभी टॉकीजों
मे लगने वाली थी लेकिन इसको रिलीज करवाने के लिए सेंसर बोर्ड में
भी हमे डेढ माह तक घूमना पडा। चूंकि प्रदेज्द्म के मुखिया भूपेज्द्म बघेल
को लोग कका के नाम से फेमस है, और इस फिल्म का नाम कका जिन्दा
है, जिसको लेकर विरोध किया जा रहा है। हमारी ये फिल्म कोई भूपेज्द्म
बघेल की बॉयोपिक नही है, ना ही उनका कोई उल्लेख किया गया है,
हमारी फिल्म किसान पर आधारित है, इसमें किसी पाटी, या राजनेता या
चुनाव चिन्ह का हमारे द्वारा कोई उपयोग नही किया गया है इस फिल्म में।
यह फिल्म 2 घंटा 15 मिनट की है, और किसानों के स मान में और
उसकी समस्याओं को लेकर ये फिल्म बनी है। दो माह पहले ही इस फिल्म को
रिलीज होना था लेकिन सेंसर बोर्ड के लेट लतीफी के कारण इस फिल्म्
को 13 अक्टूबर को रिलीज करना पडंा। हमें उ मीद है कि हमारी जो
आगामी प्रोजेक्ट रहेगा उसमें इसका लाभ मिलेगा। पत्रवार्ता में प्रोडयूसर
मनोज खरे,सह निर्माता व संगीतकार हेमलाल चतुर्वेदी, फिल्म के हिरो पवन
गांधी एक्टर ज्द्ममज्द्मीर सिवानी, राजेज्द्म गुप्ता प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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