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टीबी मुक्त समाज के निर्माण में पंचायत सचिव और जनप्रतिनिधियों की अहम् भूमिका

by Bhupendra Sahu

सूरजपुर  । जनपद सभागार भैयाथान में टीबी मुक्त भारत के लिए कार्यशाला का आयोजन मुख्य कार्यपालन अधिकारी विनय कुमार गुप्ता के अध्यक्षता में आयोजित हुई। ज्ञात हो कि पुरी दुनियां से 2030 और सम्पूर्ण भारतवर्ष से 2025 तक क्षयरोग को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तारतम्य में जिला कलेक्टर रोहित व्यास के दिशा-निर्देशन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर एस सिंह के मार्गदर्शन में विविध कार्यक्रमों का आयोजन जिला क्षय उन्मूलन और पिरामल फाऊंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

जिला क्षय उन्मूलन केन्द्र से पधारे कार्यक्रम समन्वयक संजीत कुमार ने टीबी मुक्त पंचायत के मापदंडों पर सविस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि टीबी हारेगा और देश जितेगा के सपनों को साकार करने में ग्रामपंचायतों की अहम् भूमिका है।

पंचायत के एक एक वार्डों को टीबी मुक्त बनाने के लिए हर वार्ड पंच को जागरूक होना पड़ेगा। मुख्य कार्यपालन अधिकारी विनय कुमार गुप्ता ने कार्ययोजना और रणनीति पूर्ण कार्य करने का सुझाव दिया। जनपद पंचायत मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी विजय कुमार एक्का ने कहा कि टीबी के संक्रमण को रोकना बहुत कठीन कार्य नहीं है। अपने पड़ोस का ध्यान रखने मात्र हम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। पड़ोस के सम्भावित व्यक्तियों का पहचान कर उनका जांच करवा दें तो निश्चित तौर पर विजय हासिल हो जायेगी।

इस कार्य में पंचायत भागीदारी बने । पंचायत इंस्पेक्टर हनुमान प्रसाद दुबे ने कहा कि टीबी मुक्त पंचायत के निर्माण से व्यक्ति और समाज दोनों को फायदा है। टीबी से बचने के लिए अपने पड़ोस के सम्भावित व्यक्तियों का जांच करवाये।

यह कार्य बहुत कठीन नहीं है पंचायत सचिव यदि चाह जायें तो ग्रामीण सचिवालय दिवस में कार्य योजना बना कर लक्ष्य पुरा कर सकते हैं। इस कार्य का सूत्रधार पिरामल फाऊंडेशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक राज नारायण द्विवेदी ने विगत माह से इस बैठक के लिए प्रयासरत रहे हैं। कार्यक्रम में जनपद पंचायत के अधिकारी कर्मचारी सहभागी रहे।

अमीत कुमार खैरवार रामनयन निर्मलकर उपयंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के निलेश दुबे ने भी विचार व्यक्त किया। आभार प्रदर्शन सीनियर टिट्मेट सुपरवाइजर मदन लाल ने किया। पंचायत अरविंद कुशवाहा ने टीबी मुक्त पंचायत के किये कार्यो का अनुभव शेयर किया। कुछ सचिवों ने सुझाव भी प्रेषित किया।

रूड़मैप तैयार कर रनर के माध्यम से स्पूटम कलेक्शन कर नजदीकी डीएमसी में भेजें , जितना अधिक लोगों का जांच होगा टीबी का संदेह मिटेगा।

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