नई दिल्ली । राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्याधिकरण (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को वित्तीय संकट में फंसी शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू को बड़ी राहत देते हुए उसके खिलाफ दिवालालिया कार्यवाही को निरस्त कर दिया। एनसीएलएटी ने बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इसमें बायजू का संचालन करने वाली कंपनी थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने 158.9 करोड़ रुपये की रकम चुकाने में चूक पर थिंक एंड लर्न के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का दरवाजा खटखटाया था। यह अपील दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत की गई थी।
एनसीएलटी ने इस मामले में थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का आदेश दे दिया था। इसे अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी गई थी। हालांकि, बीसीसीआई ने मंगलवार को एनसीएलएटी के समक्ष बायजू के साथ विवाद में सुनवाई को टालने का अनुरोध किया था और संकेत दिए थे कि दोनों पक्षों के बीच सुलह के लिए बातचीत जारी है।
एनसीएलएटी की दो-सदस्यीय चेन्नई पीठ ने अपने आदेश में कहा, दाखिल हलफनामे को ध्यान में रखते हुए पक्षों के बीच समझौता स्वीकृत किया जाता है। इसके साथ ही एनसीएलटी द्वारा पारित आदेश को रद्द किया जाता है।
हालांकि अपीलीय न्यायाधिकरण ने यह चेतावनी दी कि भुगतान करने में कोई भी विफलता बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को दोबारा शुरू कर देगी। अपीलीय न्यायाधिकरण ने बायजू के अमेरिका स्थिति ऋणदाताओं के राउंड-ट्रिपिंग के आरोप को भी खारिज कर दिया और कहा कि वे इसके लिए कोई सबूत देने में विफल रहे।
इस समझौते के अनुरूप बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रविंद्रन ने 31 जुलाई को बीसीसीआई को 50 करोड़ रुपये और शुक्रवार को 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया। बाकी 83 करोड़ रुपये आरटीजीएस के जरिए नौ अगस्त को जमा किए जाएंगे।
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